पांवटा साहिब मेें आक्रेाशित हुए हिन्दूवादी संगठन, 24 घंटे का दिया अल्टीमेटम

शहर के हिन्दूवादी संगठनो का पारा उस समय सातवें आसमान पर चढ गया,जब नाहन के गोहत्या मामले के आरोपी ने पांवटा मुख्य बाजार में दुकान किराए पर ले ली और यहां आकर व्यवसाय करने लगा

Sep 4, 2024 - 10:46
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पांवटा साहिब मेें आक्रेाशित हुए हिन्दूवादी संगठन, 24 घंटे का दिया अल्टीमेटम

यंगवार्ता न्यूज़ - पांवटा साहिब    04-09-2024

शहर के हिन्दूवादी संगठनो का पारा उस समय सातवें आसमान पर चढ गया,जब नाहन के गोहत्या मामले के आरोपी ने पांवटा मुख्य बाजार में दुकान किराए पर ले ली और यहां आकर व्यवसाय करने लगा।

बताते चले कि यह वही आरोपी था जिसकी हरकतों के कारण जिला मुख्यालय नाहन साम्प्रदायिक सद्भाव भी खराब हो गया था। नाहन के हिन्दूवादी संगठनो ने जोरदार प्रदर्शन कर दुकान में ताले डाल दिए और यें आरोपी फरार हो गया था। और पुलिस के लिये बडी सिरदर्दी खडी कर दी थी।

पांवटा साहिब में कथित आरोपी ने शहर के प्रतिष्ठित ज्वैलर्स के साथ किसी नाम से इकरार नामा​ किया और धन्धा जमा लिया। इस बात की भनक हिन्दू वादी संगठनो के पदाधिकारियो को मिली तो इकरार नामा के कागजात भी निकाल लिए जिसमें आरोपी ने अपना नाम और पहचान छुपाते हुए किसी और के नाम से दुकान किराए पर ली। और यहां आकर व्यापार करने लगा।

आरोपी विवादास्पद व्यक्ति था जिसकी करतूतो के कारण नाहन में साम्प्रदायिक सद्भाव भी खराब हुआ लोग भडके विवाद हुए दुकान खाली करवाई गयी आक्रोशित लोगो ने दुकान से सामान भी बाहर फैका और लोगो पर मामले भी दर्ज हुए इसके बाद एक बडा आयोजन चौगान मैदान में हिन्दूवादी संगठनो ने किया।

अब सवाल है कि पांवटा साहिब में रेहडी वाले फडी वाले हजारो की तादाद में अपने पांव पसार चुके है किन्तु अभी तक वैरीफिकेशन किसी की नही हुई है।
इससे पहले भी माजरा में भी इस प्रकार की घटना हो चुकी है जिसको तत्कालीन एसपी जमवाल और एएसपी बबीता राणा ने देर रात्रि मौका पर पहूंच को बडे ही तरीके से मामले को निपटा दिया था। और किसी भी प्रकार की अनहोनी होने से पहले ही थाम लिया।

अब इसकी चिंगारी पांवटा तक पहुच गयी है हालांकि प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम पांवटा गुन्जीत सिंह चीमा ने चौबीस घन्टो में दुकान खाली करवाने की बात कही है और बताया  कि दुकान मालिक से बातचीत हो चुकी है। किसी भी प्रकार सद्भाव खराब नही होने दिया जाएगा। इस प्रकार की बढती हुए तादाद और आए दिन हो रहे मामलो से बुद्धिजीवियो के माथे पर चिन्ता की लकीरेे हैं।

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