गिरिपार में आज भी आजीविका का साधन बने सदियों पुराने घराट, नदियों व नालो के किनारे बनाए जाते है घराट

सिरमौर जिला के गिरिपार इलाकों में आज भी बड़ी संख्या में सदियों पुराने घराट चल रहे हैं कई लोगों के लिए आज भी यह घराट आजीविका का साधन बने हुए

Mar 24, 2024 - 17:35
Mar 24, 2024 - 17:38
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गिरिपार में आज भी आजीविका का साधन बने सदियों पुराने घराट,  नदियों व नालो के किनारे बनाए जाते है घराट

यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन    24-03-2024

सिरमौर जिला के गिरिपार इलाकों में आज भी बड़ी संख्या में सदियों पुराने घराट चल रहे हैं कई लोगों के लिए आज भी यह घराट आजीविका का साधन बने हुए है।  यह तस्वीर सिरमौर जिला के गिरीपार इलाके की है जहां सदियों से चल रहे घराट आज भी चलाए जा रहे है।

गिरिपार इलाके में रेणुका विधानसभा क्षेत्र के सियूंं व पालर के अलावा शिलाई क्षेत्र में बड़ी संख्या मे घराट चल रहे है और सदियों बाद भी घराटों का वजूद कायम है। बिना सरकारी मदद अथवा ऋण के लगाए गए यह घराट कुछ लोगों के लिए स्वरोजगार का साधन भी बने हुए हैं।

गांव सीऊं के घराट मालिक रघुवीर सिंह ने बताया कि क्षेत्र में बड़ी संख्या में नदी नालों के किनारे घराट चल रहे है और कईं पीढ़ियों से घराट उनके परिवार की आय का मुख्य जरिया बना हुआ है। 

उन्होंने कहा कि घराट में तैयार किया हुआ आटा बेहद ही गुणकारी होता है और मशीनों के जरिए तैयार किए जाने वाला आटा कई बार जल जाता है मगर घराट का आटा बिल्कुल अलग व स्वादिष्ट होता है उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों के अलावा भारी क्षेत्र से भी उनके पास घरात में तैयार होने वाले आटे की डिमांड आती है।

स्थानीय निवासी विजय आज़ाद ने बताया  कि घराट में तैयार होने वाला आटा बेहद पोष्टिक होता है घराट में गेहूं,मक्की,जौ,हल्दी और चने को पिसा जाता है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में अभी भी अधिकतर लोग घराट में तैयार किया हुआ आटा पसंद करते है।

क्षेत्र में-नालों के साथ बसे गांव में हालांकि बिजली की चक्कियां होने के साथ-साथ आसपास के कस्बों से ब्रांडेड व बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आटे की सप्लाई भी होती है, मगर अधिकतर ग्रामीण अपने अनाज घराट में ही पिसवाना पसंद करते है।

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