प्रजातंत्र की बात करें तो हर किसी की स्वतंत्रता बेहद जरूरी : दलाईलामा
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि प्रजातंत्र की बात करें तो हर किसी की स्वतंत्रता बेहद जरूरी है। कोई भी जंग होती है तो वह केवल छोटी सोच और स्वयं के लाभ के लिए होती है, लेकिन इससे अपने साथ दूसरों का भी नुकसान होता
यंगवार्ता न्यूज़ - धर्मशाला 26-04-2024
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि प्रजातंत्र की बात करें तो हर किसी की स्वतंत्रता बेहद जरूरी है। कोई भी जंग होती है तो वह केवल छोटी सोच और स्वयं के लाभ के लिए होती है, लेकिन इससे अपने साथ दूसरों का भी नुकसान होता है।
किसी भी जंग और अहिंसा को रोकने के लिए आपसी समझ होनी बेहद जरूरी है। इस छोटे से ब्रह्मांड में हम सभी एकसाथ रहते हैं। धर्मगुरु ने यह बातें मिलने पहुंचे तिब्बत के एस्टोनियन संसदीय समूह के प्रतिनिमिंडल से कहीं। दलाई लामा ने तिब्बत और बौद्ध धर्म के बारे में भी उन्हें बताया।
उन्होंने कहा कि तिब्बत में राजनीति सबसे अहम नहीं है। यहां सबसे जरूरी बौद्ध धर्म और बुद्ध के मूल्य और सिद्धांत हैं। बौद्ध धर्म मनुष्य की सोचने की क्षमता को बढ़ाता है और इससे काफी लाभ होता है। दलाई लामा ने कहा कि हम नालंदा परंपरा को मानते हैं और नालंदा परंपरा से हम हमेशा लोगों के हित के बारे में सोचते हैं।
अपनी बुद्धि को अच्छे कार्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि किसी भी मतभेद, संघर्ष को हमें रोकना चाहिए। एक-दूसरे से साथ भाई-बहनों की तरह रहना चाहिए। हथियार उठाने की बजाय हमें सोचने और बात करने की जरूरत है।
विश्व शांति के लिए सभी को करुणा और शांति रखनी चाहिए। जैसे पैदा होते ही हमें मां से प्यार और करुणा मिलती है, उसी तरह हमें दूसरों के प्रति भी करुणा दिखानी चाहिए और दूसरों के हित के लिए कार्य करना चाहिए।
तिब्ब्ती धर्मगुरु दलाई लामा से मैक्लोडंगज में उनके निवास स्थान में वीरवार को मिलने पहुंचे तिब्बत के एस्टोनियन संसदीय समूह में अध्यक्ष एवं सांसद जुकु-कल्ले रेड, सांसद एवं एस्टोनियन संसद के पूर्व अध्यक्ष हेना पोल्स और सांसद तार्मो टैम आदि शामिल रहे।
दलाई लामा ने सभी का धन्यवाद किया और कहा कि वह भारत के धर्मशाला में शरणार्थी हैं। विश्वभर से लोग उनसे मिलने आते हैं और मैं हमेशा उन्हें मानवीय करुणा के मूल्यों की बात करता हूं। प्रतिनिधिमंडल ने दलाई लामा से विश्व शांति, करुणा, सद्भाव सहित कई विषयों पर चर्चा की। बारी-बारी धर्मगुरु दलाई लामा ने सभी के प्रश्नों के उत्तर दिए।
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