प्रदेश में डेढ़ माह से बारिश न होने के कारण सूखे जैसे हालात
हिमाचल प्रदेश में डेढ़ माह से बारिश न होने के कारण सूखे जैसे हालात बन गए हैं, जिससे पेयजल योजनाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। गैर सिंचित क्षेत्रों में किसान भी बुरी तरह से परेशान होकर हर दिन बारिश के देवता से गुहार लगा रहे.......
यंगवार्ता न्यूज़ - धर्मशाला 15-11-2024
हिमाचल प्रदेश में डेढ़ माह से बारिश न होने के कारण सूखे जैसे हालात बन गए हैं, जिससे पेयजल योजनाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। गैर सिंचित क्षेत्रों में किसान भी बुरी तरह से परेशान होकर हर दिन बारिश के देवता से गुहार लगा रहे हैं। सूखी ठंड, आसमान में छाई धुंध व धूल से लोग बीमार होने लगे हैं और अस्पतालों में भी ओपीडी बढ़ गई है।
हिमाचल प्रदेश में दो साल बाद अक्तूबर और नवंबर में फिर सूखे जैसे हालात बनने लगे हैं। गत पहली अक्तूबर से 14 नवंबर तक प्रदेश में सामान्य से 98 फीसदी कम बारिश हुई है। इससे पहले वर्ष 2022 में अक्तूबर और नवंबर के दौरान सामान्य से कम बारिश हुई थी। इस साल भी मानसून जाने के बाद से राज्य में नाममात्र की ही बारिश हुई है।
हिमाचल प्रदेश के छह जिले ऐसे हैं, जिनमें एक बूंद भी बारिश नहीं हुई। कांगड़ा में 1.5, किन्नौर में 0.4, लाहुल-स्पीति में 0.1, मंडी में 3.4, शिमला में 0.2 और ऊना में 8.6 मिलीमीटर ही बारिश हुई। डेढ़ महीने का लंबा ड्राई स्पैल होने से खेतों की नमी कम हो गई है, जिस कारण किसान अभी तक गेहूं की बिजाई नहीं कर पाए है।
इसके अलावा सूखे का असर पेयजल स्कीमों पर भी पडऩे लगा है। धर्मशाला जलशक्ति मंडल के एक्सईएन सुमित विमल कटोच का कहना है कि प्रदेश में बारिश न होने से पेयजल स्कीमों पर भी बड़ा असर पडऩा शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि ड्राई स्पैल से 50 फीसदी पेयजल परियोजनाएं प्रभावित होने लगी है।
हालांकि अभी विभाग पानी की सप्लाई को सुचारू बनाए रखने के लिए प्रयास कर रहा है, लेकिन जल्द बारिश नहीं हुई, तो पेयजल संकट गहरा सकता है। अक्तूबर में बारिश न होने से इस बार किसान रबी की फसल नहीं लगा पाए हैं। केवल सिंचित क्षेत्र के किसान ही गेहूं की बिजाई कर पाए हैं। किसानों की मानें, तो गेहूं के लिए नवंबर का पहला सप्ताह सबसे उपयोगी माना जाता है, लेकिन बारिश न होने से किसान बेबस हैं।
अभी तक खेत सूखे होने से किसान बिजाई नहीं कर पाए हैं। जिन किसानों की खेत में पानी की सुविधा है, वे ही गेहूं बिजाई का कार्य पा रहे हैं। बारिश न होने से अभी जिला कांगड़ा के चंगर इलाकों में गेहूं की फसल की बिजाई नहीं हो पाई है। किसान बारिश का इंतजार कर रहे है कि कब बारिश होगी। राज्य में करीब 85 फीसदी क्षेत्र में खेती वर्षा पर ही निर्भर रहती है, लेकिन मौसम की बेरुखी ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।
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