औद्योगिक क्षेत्र परवाणू से चूल्हा उद्योगों का अस्तित्व खत्म, 98 फीसदी उद्योग दूसरे राज्यों में कर चुके पलायन
हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र परवाणू से चूल्हा उद्योगों का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म हो गया है। देश को 60 फीसदी चूल्हा उपलब्ध करवाने वाले क्षेत्र में अब केवल दो उद्योग रह गए हैं। कारण यह है कि 2015 के बाद से अब तक प्रदेश को औद्योगिक पैकेज नहीं मिल पाया
यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन 09-12-2024
हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र परवाणू से चूल्हा उद्योगों का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म हो गया है। देश को 60 फीसदी चूल्हा उपलब्ध करवाने वाले क्षेत्र में अब केवल दो उद्योग रह गए हैं। कारण यह है कि 2015 के बाद से अब तक प्रदेश को औद्योगिक पैकेज नहीं मिल पाया है। कोरोना के बाद हालात और खराब हो गए। ऐसे में परवाणू में लगे 98 फीसदी चूल्हा उद्योग दूसरे राज्यों में पलायन कर चुके हैं।
आलम यह है कि इस ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया है। ये चूल्हा उद्योग गुजरात, पंजाब समेत अन्य राज्यों में स्थापित हो गए हैं। प्रदेश में बिजली की महंगी दरों के कारण सबसे पहले चूल्हा उद्योगों ने यहां से पलायन करना शुरू किया। जबकि हिमाचल अन्य राज्यों को बिजली उपलब्ध करवाता है।
लेकिन यहां पर बिजली की बढ़ती दरों के कारण उद्योग मालिकों ने उद्योग शिफ्ट कर दिए। यही नहीं, गुड्स एवं सर्विस टैक्स (जीएसटी) आने के बाद सभी दरें एक सामान हो गईं। इससे पहले उद्योगों को प्रदेश में टैक्स में काफी रियायत मिलती थी। इसी के साथ लंबे समय से केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की ओर से परवाणू के लिए कोई योजना न तैयार करवाने के कारण चूल्हा उद्योगों के मालिकों ने पलायन करना ठीक समझा।
गौर रहे कि वर्ष 2002-03 में परवाणू को बड़ा औद्योगिक पैकेज मिला था। औद्योगिक पैकेज मिलने के बाद सबसे पहले यहां पर दूसरे राज्यों से चूल्हा उद्योग आए। क्षेत्र के कामली समेत अन्य जगहों पर चूल्हा उद्योग लगे। पांच वर्षों में परवाणू में करीब 87 छोटे-बड़े चूल्हा उद्योग स्थापित हो गए। लेकिन वर्तमान में केवल दो चूल्हा उद्योग रह गए हैं।
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