बच्चों को देश की संस्कृति से अवगत करवाना भारत विकास परिषद का मकसद , नाहन में भारत को जानो प्रतियोगिता

भारत विकास परिषद की प्रांतस्तरीय भारत को जानो प्रतियोगिता आज सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन में आयोजित हुई जिसमें बड़ी संख्या में बच्चों ने हिस्सा लिया। मीडिया से बात करते हुए अध्यक्ष भारत विकास परिषद शाखा नाहन लायकराम शास्त्री ने बताया कि प्रांत स्तरीय इस बैठक में विभिन्न स्कूलों से बच्चों ने हिस्सा लिया और इस प्रतियोगिता के आयोजित करने का मुख्य मकसद बच्चों को देश से जुड़ी संस्कृति के संरक्षण बारे जानकारी देना है ताकि बच्चे अपनी संस्कृति के बारे में जागरूक हो साथ-साथ बच्चों को संस्कारी शिक्षा से अवगत करवाना भी मकसद रहता है

Nov 16, 2025 - 18:52
Nov 16, 2025 - 19:17
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बच्चों को देश की संस्कृति से अवगत करवाना भारत विकास परिषद का मकसद , नाहन में भारत को जानो प्रतियोगिता
  
यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन  16-11-2025
भारत विकास परिषद की प्रांतस्तरीय भारत को जानो प्रतियोगिता आज सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन में आयोजित हुई जिसमें बड़ी संख्या में बच्चों ने हिस्सा लिया। मीडिया से बात करते हुए अध्यक्ष भारत विकास परिषद शाखा नाहन लायकराम शास्त्री ने बताया कि प्रांत स्तरीय इस बैठक में विभिन्न स्कूलों से बच्चों ने हिस्सा लिया और इस प्रतियोगिता के आयोजित करने का मुख्य मकसद बच्चों को देश से जुड़ी संस्कृति के संरक्षण बारे जानकारी देना है ताकि बच्चे अपनी संस्कृति के बारे में जागरूक हो साथ-साथ बच्चों को संस्कारी शिक्षा से अवगत करवाना भी मकसद रहता है। उन्होंने कहा कि देश भर में भारत विकास परिषद द्वारा संस्कार आधारित प्रतियोगिताएं समय-समय पर आयोजित करवाई जाती है। 
उन्होंने कहा कि भारत विकास परिषद् की स्थापना सन् 1963 में हुई थी। यह वर्ष स्वामी विवेकानंद का जन्म शताब्दी वर्ष भी था। बताते है कि डा. सूरज प्रकाश जी ने 1962 में चीनी आक्रमण के समय भारतीय सैनिकों की सहायता करने हेतु जिस सिटीजन्स फोरम या जनमंच की स्थापना की थी उसी को 1963 में भारत विकास परिषद में परिवर्तित कर दिया गया था। किन्तु परिषद की स्थापना कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। इसकी पृष्ठभूमि में एक गहन विचार मंथन एवं देश के सम्पन्न वर्ग की संकीर्ण होती दृष्टि से उत्पन्न वेदना थी। डा. साहब महसूस करते थे कि भारत का उच्च मध्यम वर्ग न केवल आत्म केन्द्रित एवं स्वार्थी होता जा रहा है , अपितु समाज से अलग - थलग भी पड़ता जा रहा है। वह देश की समस्याओं के प्रति असंवेदनशील हो गया है एवं अपने हित चिंतन में ही डूबा रहता है। 
इस संबंध में उनकी चर्चा अपने निकट मित्रों एवं सहयोगियों से होती रहती थी जिसमें उस समय के दिल्ली के अनेक प्रतिभाशाली एवं समाज सेवा में रुचि रखने वाले व्यक्ति सम्मिलित थे। इनमें सबसे प्रमुख लाला हंसराज गुप्ता, बसंत राव ओक, केदारनाथ साहनी तथा अन्य लोग शामिल थे। उन्होंने कहा कि प्रथम शाखा की स्थापना के पश्चात डॉक्टर साहब ने परिषद के कार्यों को विस्तार करना प्रारम्भ किया। 1967 में राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता को प्रारम्भ किया गया। इस प्रतियोगिता के नियम उस समय के प्रसिद्ध संगीतकार अनिल विश्वास ने बनाये थे। इस प्रतियोगिता के पारितोषिक वितरण तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन ने किया था। 
1969 में दिल्ली के बाहर देहरादून में परिषद की दूसरी शाखा स्थापित हुई। डॉक्टर साहब काफी समय से इस प्रयत्न में थे कि परिषद के विचारों को व्यक्त करने वाली एक पत्रिका निकाली जाए। अन्त में 1969 में ही नीति नाम की पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया। प्रारम्भ में यह पत्रिका अर्धवार्षिक थी एवं केवल अंग्रेजी में ही निकलती थी। इसमें समाचार या फोटोग्राफ नहीं होते थे, केवल विभिन्न विषयों पर लेख प्रकाशित होते थे। डॉ. सूरज प्रकाश स्वयं ही इसके प्रबन्ध सम्पादक थे। परिषद के समस्त सदस्यों को यह पत्रिका निशुल्क भेजी जाती थी।

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