यंगवार्ता न्यूज़ - हरिपुरधार 06-10-2025
समाज ऐसे बर्ले लोग ही होते हैं जो अपनी कामयाबी की गाथा सार्वजनिक नहीं करते हैं। ऐसे शख्स आज भी समाज के लिए कुछ कर गुजरने की लगन रखते है। आज भी उनके मन में देश भक्ति कूट-कूट कर भरी है। बात देशभक्ति की हो या फिर समाज सेवा की ऐसे लोग कभी भी पीछे नहीं रहते हैं। हम बात कर रहे हैं जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के नौराधार तहसील की निहोग गांव के जीवन सिंह शर्मा की। जीवन सिंह शर्मा ने भारतीय सेना में नौकरी करने के बाद वर्ष 1982 में हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए। उसके बाद से वह अपने गांव में समाज सेवा में तत्पर है।
जीवन सिंह शर्मा किसी परिचय के मोहताज नहीं है। जीवन सिंह शर्मा ने बताया कि वर्ष 1968 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। अभी 3 वर्ष ही उन्हें भारतीय सेना में हुए थे कि वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध हुआ। उन्होंने कहा कि भारत पाक युद्ध के दौरान वह भारतीय सीमा पर लेह लद्दाख में डटे हुए थे। इस दौरान उन्होंने पाक सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया। जीवन शर्मा ने कहा कि उन्होंने 18 वर्ष तक आर्मी की नौकरी के दौरान न केवल पाकिस्तान के बॉर्डर पर सेवाएं नहीं दी , बल्कि चीन और अन्य भारतीय सीमाओं से सटी अन्य सीमाओं पर भी पहरेदार रहे। आपको बता दें कि जीवन सिंह शर्मा नोहराधार तहसील के ग्राम निहोग के रहने वाले हैं। वह वर्ष 1982 में भारतीय सेना से सेवानिवृत हुए हैं।
यदि परिवार की बात करते हैं तो जीवन सिंह के दो पुत्र दो पुत्रियां हैं , जिनमें से उनके बड़े बेटे देशराज शर्मा शिक्षा विभाग में बतौर शिक्षक सेवाएं दे रहे हैं। आज भी 80 वर्ष की उम्र पार कर चुके जीवन सिंह शर्मा पूरी तरह स्वस्थ है और अपनी दिनचर्या पहले की भांति ही जी रहे हैं। जीवन सिंह शर्मा ने हमेशा ही देश सेवा को तवज्जो दी है। चाहे वह भारतीय सेना में रहे हो या फिर भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी देश सेवा का जज्बा उनमें कूट-कूट कर भरा है। सेना में उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें अनेक मेडल और प्रशस्ति पत्र मिले हैं जो उनकी सेवा पंजिका में डिस्चार्ज बुक में वर्णित है।
लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी शौर्य गाथा का जिक्र किसी पत्रिका में किसी समाचार चैनल में और न ही किसी प्रकार का साक्षात्कार नहीं दिया है। यह शख्सियत अपने आप में किसी प्रशंसा की मोहताज नहीं है , क्योंकि उनकी सच्ची मेहनत से ही उनके सभी बच्चे और परिवार समाज में अपनी एक विशेष पहचान बने हुए हैं। इनके दो पुत्र और दो पुत्रियां समाज सेवा अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे है। यह उनकी सेवाओं का ही परिणाम है कि वह अपने आप में आज स्वस्थ और समृद्ध है।