आस्था : रेणुका पछाद क्षेत्र के 9 परगनों की जातर पारंपरिक बाध्य यंत्रों के साथ पहुंची चूड़धार  

रेणुका पछाद क्षेत्र के 9 परगनों की जातर रविवार को चूड़धार पहुंची। क्षेत्र के हजारों श्रद्धालु शनिवार को शिरगुल देवता की जन्म स्थली शाया से व नौहराधार से चूड़धार के लिए रवाना हुए थे। श्रद्धालुओं ने रात्रि ठहराव बंगा पाणी वैरभ व तीसरी में खुले आसमान के नीचे किया

Jun 23, 2024 - 18:49
 0  59
आस्था : रेणुका पछाद क्षेत्र के 9 परगनों की जातर पारंपरिक बाध्य यंत्रों के साथ पहुंची चूड़धार  

यंगवार्ता न्यूज़ - नौहराधार    23-06-2024

रेणुका पछाद क्षेत्र के 9 परगनों की जातर रविवार को चूड़धार पहुंची। क्षेत्र के हजारों श्रद्धालु शनिवार को शिरगुल देवता की जन्म स्थली शाया से व नौहराधार से चूड़धार के लिए रवाना हुए थे। श्रद्धालुओं ने रात्रि ठहराव बंगा पाणी वैरभ व तीसरी में खुले आसमान के नीचे किया। नौहराधार क्षेत्र से पहुंचे सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने तिसरी नामक स्थान पर पारंपरिक बाध्य यंत्रों के साथ शाया से आए देवते का प्राचीन परंपरा के साथ भव्य स्वागत किया गया। 

रविवार को रविवार को जातर चूड़धार पहुंची। चूड़धार पहुंचने के बाद  शिरगुल महाराज शाया के देवते को शाही स्नान करवाया गया। उसके बाद देवता ने मंदिर की ओर प्रस्थान किया। देवता के साथ आई जातर ने मंदिर में पूजा अर्चना की। उसके बाद लगभग 12500 फुट की ऊंचाई पर स्थित शिवलिंग पर पहुंच कर श्रद्धालुओं ने शिव की प्रतिमा व शिवलिंग पर पूजा अर्चना की। 

शिवलिंग से लौटने के बाद एक बार श्रद्धालु फिर मंदिर पहुंचे और अराध्य देव से क्षेत्र की खुशहाली व समृद्धि के लिए अर्चना की। शिरगुल महाराज ने श्रद्धालुओं को सुख समृद्धि व खुशहाली का आशीर्वाद दिया। उसके बाद जातर देवता के साथ जातर अपने-अपने परगनों के लिए रवाना हुई।

तीसरे वर्ष चूड़धार पहुंचती है जातर.......

राजगढ़, पच्छाद व रेणुका क्षेत्र के 9 परगनों की जातर हर तीन वर्षों के बाद चूड़धार जाती है। जातर में हजारों की संख्या में लोग भाग लेते हैं। शिरगुल देवता शिलाई, रेणुकाजी व पच्छाद विस क्षेत्र के अलावा शिमला जिले के लाखों लोगों के अराध्य देवता है। यह जातर क्षेत्र की सुख समृद्धि व खुशहाली के लिए की जाती है। यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है।

जातर की खास विशेषता यह है कि हजारों लोग 2 दिन की पैदल यात्रा करके चूड़धार पहुंचते हैं। दिनभर चलने के बाद जातर का रात्री ठहराव जंगल में खुले आसमान के नीचे होता है। रात को जंगल में ही देवते के जागरण का आयोजन होता है। खाने के अलावा व तमाम तरह की सारी व्यवस्थाएं जातर में शामिल लोग मिलजुल कर करते हैं।

पर्यावरण व स्वच्छता का भी दिया संदेश:
 
नौहराधार क्षेत्र से जाने वाली जातर ने इस बार एक अनूठी पहल की है। नौहराधार क्षेत्र के लोग जब नौहराधार से चूड़धार के लिए रवाना हुए। यात्रा के दौरान लोगों ने 18 किमी लंबे रास्ते की सफाई की। श्रद्धालुओ ने रास्ते में पड़े प्लास्टिक के कचरे, प्लास्टिक की बोतलों, पॉलीथिन को हटाकर रास्ते को साफ किया। 

जातर मे शामिल श्रदालुओं ने बताया कि पर्यावरण को बचाने के उनका स्वच्छता अभियान भविष्य में भी जारी रहेगा। नौहराधार के रास्ते से सैकड़ों श्रद्धालु चूड़धार जाते है। रास्ते में भारी मात्रा में कचरा फेंकते है। इससे चूड़धार के स्वच्छ पर्यावरण के प्रदूषित होने का खतरा पैदा हो रहा है। स्वच्छता के प्रति लोगों का जागरुक होना जरुरी है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow