एनजीटी के आदेशों के बाद कुफरी में घोड़ों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू
एनजीटी के आदेशों के बाद कुफरी में घोड़ों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कुफरी से महासू तक 850 घोड़े चलते हैं, जिनकी संख्या राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने कम करने के लिए कहा
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 03-03-2024
एनजीटी के आदेशों के बाद कुफरी में घोड़ों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कुफरी से महासू तक 850 घोड़े चलते हैं, जिनकी संख्या राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने कम करने के लिए कहा है। इसके बाद वन विभाग ने लोगों को घोड़ों का पंजीकरण कर दोबारा लाइसेंस बनाने के निर्देश दिए हैं।
घोड़ों के मालिक दो मार्च तक पंजीकरण करवा सकते हैं। इलाके में घोड़ों की संख्या पहले 700 की जाएगी और इसके बाद घटाकर 217 तक लाई जाएगी। शहर के लोग रोजगार के लिए पर्यटन और घुड़सवारी पर निर्भर हैं, लेकिन किसी ने याचिका दायर की थी कि घोड़ों की बढ़ती संख्या से यहां गंदगी फैल रही है।
घोड़ों के मल के निपटारे के लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है। स्थानीय निवासी इससे परेशान हैं। घोड़ों के मल से निकलने वाली नाइट्रोजन, फासफोरस और कार्बन जलमार्ग तक पहुंच सकते हैं।
इससे काफी समय से कुफरी में भू-जल प्रणाली प्रभावित हो रही है। इसके अलावा पशुओं पर निर्दयता कम करने के लिए भी एनजीटी ने घोड़ों की संख्या कम करने के लिए कहा है। घोड़ों का दोबारा पंजीकरण करने से बाहरी इलाके से आकर कुफरी में घोड़े चला रहे लोगों का भी पता चलेगा।
स्थानीय युवाओं की शिकायत है कि बाहरी क्षेत्रों से आए लोग कुफरी में घोड़े चला रहे हैं, जिससे उनका रोजगार छीना जा रहा है। एनजीटी के आदेशों के बाद वन विभाग ने योजना बनाने के लिए टीम का गठन किया है।
इसमें मुख्य वन संरक्षक बतौर अध्यक्ष, डीएफओ ठियोग सदस्य सचिव, डीएफओ शिमला शहरी सदस्य, डीएफओ शिमला ग्रामीण सदस्य, जिला पर्यटन अधिकारी सदस्य और जिला प्रशासन शिमला के प्रतिनिधि सदस्य के रूप में शामिल हैं। इनके अलावा कुफरी, नयोला पंचायत के सदस्य, बडीसी मखबोल के सदस्य और जिला परिषद के अधिकारी कमेटी में अनापौचारिक सदस्यों के रूप में रखे हैं।
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