देश में प्रचंड गर्मी के बीच बड़ी बिजली की डिमांड , 258 गीगावाट तक पहुँच सकती है ऊर्जा की खपत

भारत के अधिकतर हिस्सों में प्रचंड गर्मी पड़ रही है। गर्मी से बचने के लिए लोग पंखा, कूलर , एसी और फ्रिज का सहारा ले रहे हैं, जिसकी वजह से बिजली की रिकॉर्ड मांग हो रही है। यही कारण है कि देश के विद्युत क्षेत्र में पहली बार 30 मई 2024 को 250 गीगावाट की रिकॉर्ड अधिकतम बिजली की मांग रही और भारत ने इसे सफलतापूर्वक पूरा किया है

Jun 4, 2024 - 19:35
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देश में प्रचंड गर्मी के बीच बड़ी बिजली की डिमांड , 258 गीगावाट तक पहुँच सकती है ऊर्जा की खपत
 
न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली  04-06-2024
भारत के अधिकतर हिस्सों में प्रचंड गर्मी पड़ रही है। गर्मी से बचने के लिए लोग पंखा, कूलर , एसी और फ्रिज का सहारा ले रहे हैं, जिसकी वजह से बिजली की रिकॉर्ड मांग हो रही है। यही कारण है कि देश के विद्युत क्षेत्र में पहली बार 30 मई 2024 को 250 गीगावाट की रिकॉर्ड अधिकतम बिजली की मांग रही और भारत ने इसे सफलतापूर्वक पूरा किया है। बता दें कि इससे एक दिन पहले यानी 29 मई को बिजली की मांग 234.3 गीगावाट के उच्चतम स्तर पर पहुंची थी। यह गर्मी के मौसम की वजह से बढ़े भार और बढ़ती औद्योगिक व आवासीय बिजली खपत के संयुक्त प्रभाव को दर्शाती है। 
खास बात यह है कि इतनी भारी मांग के बावजूद इससे देश के ट्रांसमिशन नेटवर्क में कोई समस्या नहीं आई और बिजली कटौती की भी कोई रिपोर्ट नहीं दर्ज की गई। इस मांग को पूरा करने में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, खासकर सौर घंटों के दौरान सौर ऊर्जा और गैर-सौर घंटों के दौरान पवन ऊर्जा से मिला समर्थन भी बहुत महत्वपूर्ण रहा। बिजली की देखरेख और इसको निर्देशित करने वाली संस्थाएं अब आने वाले महीनों में 258 गीगावाट की अधिकतम मांग के लिए तैयारी कर रही हैं। ज्ञात हो कि साल 2012 में 30-31 जुलाई को इसी तरह से बिजली की भारी मांग थी, जिसकी वजह से भारत को दुनिया की सबसे बड़ी बिजली कटौती का सामना करना पड़ा था। 
उस समय उत्तरी और पूर्वी ग्रिड ओवरलोड के कारण ध्वस्त हो गए थे। इसका नतीजा यह रहा था कि देश में 620 मिलियन लोग 13 घंटे से अधिक समय तक अंधेरे में डूबी रही थी।साल 2012 से लेकर अब तक किए गए उपायों ने भारत के ट्रांसमिशन नेटवर्क को दुनिया के सबसे बड़े एकीकृत ग्रिड में बदल दिया है। मजबूत ट्रांसमिशन नेटवर्क की वजह से ऑपरेटर ग्रिड-इंडिया को देश में बिजली वितरण के लिए थर्मल, न्यूक्लियर हाइड्रो, सोलर और विंड पावर को एक कोने से दूसरे कोने तक और लोड को इधर-उधर शिफ्ट करके संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।

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