पहल : बच्चों के उत्साह वर्धन के लिए शिक्षकों ने डाली नाटी , धमून स्कूल के अध्यापकों ने पेश की मिसाल

संस्कृत के प्रति बच्चों को जागरूक करने के उद्देश्य से अहम भूमिका निभा सकते हैं इस प्रकार के कार्यक्रम बच्चे तालियां बजाते रहे और शिक्षकों ने प्रस्तुत की नाटी , अन्य स्कूलों के शिक्षकों के लिए भी मिसाल पेश कर सकते हैं इस प्रकार के कार्यक्रम अध्यापकों में स्कूल कार्यक्रम में बच्चों का बढ़ाया उत्साह

Nov 16, 2024 - 17:59
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पहल : बच्चों के उत्साह वर्धन के लिए शिक्षकों ने डाली नाटी , धमून स्कूल के अध्यापकों ने पेश की मिसाल

यंगवार्ता न्यूज़ - राजगढ़  16-11-2024

अक्सर स्कूलों में शिक्षकों के समक्ष छात्रों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए जाते हैं , लेकिन जिला सिरमौर के राजगढ़ उप मंडल की माध्यमिक पाठशाला धमून के शिक्षकों ने एक मिसाल पेश की है। मौका था बाल दिवस का । बाल दिवस के अवसर पर राजकीय माध्यमिक पाठशाला धमून के शिक्षकों द्वारा स्कूल में बच्चों के समक्ष रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए गए। इस कार्यक्रम को देखकर स्कूली बच्चों का न केवल उत्साहवर्धन हुआ , बल्कि बच्चों में अपनी संस्कृति के प्रति जागरूकता भी बढ़ी। बताते हैं कि शिक्षकों द्वारा लीक से हटकर इस प्रकार की प्रस्तुति देने का मुख्य उद्देश्य बच्चों को संस्कृत के प्रति जागरूक करना है। 
जानकारी के मुताबिक स्कूली बच्चों के समक्ष स्कूल में कार्यरत शिक्षकों ने बाकायदा स्टेज पर न केवल सिरमौरी नाटी पेश की बल्कि फिल्मी तराने पर भी खूब डांस किया। शिक्षकों की इस प्रकार की प्रस्तुति देखकर बच्चे गदगद नजर आए। बताते हैं कि जब शिक्षकों द्वारा इस प्रकार की प्रस्तुति दी गई तो इससे बच्चों का न केवल उत्साह बर्तन हुआ बल्कि बच्चों को आगे बढ़ाने में भी प्रेरणा मिलेगी। शिक्षकों के कार्यक्रम प्रस्तुत करने के उपरांत ऐसे बच्चे भी सामने आए जो कभी भी स्टेज पर नहीं गए थे । उन बच्चों में भी सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करने की एक जिज्ञासा देखने को मिली। 
जिस प्रकार माध्यमिक पाठशाला धमून के शिक्षकों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर एक मिसाल कायम की है । इस प्रकार के कार्यक्रम प्रदेश के अन्य स्कूलों में भी आयोजित किए जाने चाहिए । शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत की गई नाती और सांस्कृतिक कार्यक्रम से शिक्षकों ने एक छाप छोड़ी है । यदि हिमाचल प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग इस प्रकार की पहल करें कि स्कूलों में अपनी संस्कृति के प्रति बच्चों को जागरूक करने के उद्देश्य से पहले शिक्षकों द्वारा स्वयं कार्यक्रम प्रस्तुत की जाए ताकि बच्चों को भी अपनी संस्कृति के प्रति जिज्ञासा बढ़े । इससे बच्चों का संस्कृत के प्रति उत्साह भी बढ़ता है। 
स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि स्कूलों में हमेशा स्कूली छात्रों द्वारा ही कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं और शिक्षक कार्यक्रम का लुत्फ उठाते हैं , लेकिन स्कूल के शिक्षकों ने एक मिसाल पेश की है जहां बाल दिवस के अवसर पर बच्चों के स्थान पर शिक्षकों ने खुद कार्यक्रम प्रस्तुत किया । जिसकी पूरे क्षेत्र में भूरी भूरी प्रशंसा हो रही है। बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि जिस प्रकार धमून स्कूल के शिक्षकों ने एक मिसाल पेश की है । इस प्रकार के कार्यक्रम अन्य स्कूली शिक्षकों को भी अपने-अपने स्कूलों में करने चाहिए , ताकि बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिले।

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