भाखड़ा बांध के विस्थापित 63 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित
भाखड़ा बांध से बनी गोबिंद सागर झील से बेघर हुए बिलासपुर के 205 गांवों के लोग आज भी राहत की राह देख रहे हैं। 63 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित
यंगवार्ता न्यूज़ - बिलासपुर 21-03-2024
भाखड़ा बांध से बनी गोबिंद सागर झील से बेघर हुए बिलासपुर के 205 गांवों के लोग आज भी राहत की राह देख रहे हैं। 63 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। लोगों को सुविधाओं के नाम पर केवल कोरे आश्वासन मिले।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव के समय नेताओं को विस्थापितों की याद जरूर आती है और हक दिलाने के दावे किए जाते हैं। सत्ता मिलने पर विस्थापित भुला दिए जाते हैं। आज भी विस्थापितों का पूरी तरह बसाव नहीं हो पाया। 9 अगस्त 1961 को अस्तित्व में आई झील के लिए घर- जमीन छोड़ने वाले लोग हक के लिए भटक रहे हैं।
विस्थापित लोगों से बसा बिलासपुर देश का पहला ऐसा शहर है जो 999 साल की लीज पर है। सब कुछ होते हुए इन्हें शहर में अपनी ही संपत्ति का मालिकाना हक नहीं मिला। लीज के कारण बिजली-पानी के कनेक्शन के लिए नगर परिषद से एनओसी लेना पड़ता है। जरूरत पड़ने पर अपनी ही संपत्ति पर लोन के लिए अनुमति जरूरी है।
करीब 41,000 एकड़ भूमि झील की भेंट चढ़ी और 11,777 परिवार बेघर हुए थे। केंद्र-प्रदेश सरकार ने उनके लिए नीति का निर्धारण नहीं किया। कुछ लोग आसपास के जंगलों में बस गए तो 3600 परिवारों को हरियाणा के सिरसा, हिसार और फरीदाबाद में जमीन दी गई।
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