विश्वविद्यालय से 12 छात्रों के निष्कासन के खिलाफ उपायुक्त कार्यालय के बाहर एसएफआई का प्रदर्शन

हिमाचल विश्वविद्यालय एसएफआई इकाई ने विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा किये गए अवैध रूप से एसएफआई के 12 छात्रों के निष्कासन के खिलाफ उपायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन किया और सह उपायुक्त को ज्ञापन सौपा। इस प्रदर्शन में विश्वविद्यालय कैंपस सचिव सन्नी सेक्टा ने कहा कि जब से देश और हिमाचल प्रदेश के अंदर एसएफआई का निर्माण हुआ है उस समय से लेकर एसएफआई जनवादी, प्रगतिशील

Dec 5, 2023 - 18:49
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विश्वविद्यालय से 12 छात्रों के निष्कासन के खिलाफ उपायुक्त कार्यालय के बाहर एसएफआई का प्रदर्शन

 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  05-12-2023

हिमाचल विश्वविद्यालय एसएफआई इकाई ने विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा किये गए अवैध रूप से एसएफआई के 12 छात्रों के निष्कासन के खिलाफ उपायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन किया और सह उपायुक्त को ज्ञापन सौपा। इस प्रदर्शन में विश्वविद्यालय कैंपस सचिव सन्नी सेक्टा ने कहा कि जब से देश और हिमाचल प्रदेश के अंदर एसएफआई का निर्माण हुआ है उस समय से लेकर एसएफआई जनवादी, प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा व्यवस्था को हासिल करने के लिए काम कर रही है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंदर भी 1978-79 से विश्वविद्यालय में लोकतांत्रिक माहौल को बनाते हुए छात्रों के मुद्दों को उठाने का लगातार काम कर रही है। 

जब भी विश्वविद्यालय के अंदर एसएफआई ने प्रशासन और प्रदेश सरकार के खिलाफ लगातार आंदोलन तैयार करने की कोशिश की है और उन पर दबाव बनाने की कोशिश की है। उस समय सरकार और प्रशासन ने छात्रों की एकता को तोड़ने का लगातार काम किया है। उन्होंने कहा कि आज जब एसएफआई कैंपस के अंदर पिछली भाजपा सरकार द्वारा और पूर्व कुलपति सिकंदर कुमार के द्वारा विश्वविद्यालय में जो धांधलिया की है उसके खिलाफ लगातार आंदोलन कर रही है। परंतु जब सत्ता के अंदर कांग्रेस की सरकार नहीं थी उन्होंने सत्ता में आने से पहले यह वादा किया था कि विश्वविद्यालय के अंदर जो भ्रष्टाचार हुआ है उसके खिलाफ करवाई करेगी। सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने अभी तक किसी भी तरह से विश्वविद्यालय के अंदर हुई धांधलियों के खिलाफ किसी भी तरह का कम नहीं उठाया है। 

जब एसएफआई प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ और इन धांधलियों के खिलाफ लगातार विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाने का काम कर रही थी तो उस समय कांग्रेस सरकार के पिट्ठू संगठन एनएसयूआई के बाहरी गुंडों द्वारा विश्वविद्यालय कैंपस के अंदर आकर एसएफआई के कार्यकर्ताओं पर नुकीले हथियारों और डंडों से हमला करवाकर कैंपस का माहौल खराब किया जाता है। एसएफआई का मानना है कि यह हमला विश्वविद्यालय प्रशासन और प्रदेश सरकार की मिलीभगत से सुनियोजित तरीके से करवाया गया है। जिसमें एसएफआई के तीन छात्र नेताओं को गहरी चोटे लगती हैं। परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा बाहरी गुंडों  पर कार्रवाई न करते हुए उल्टा एसएफआई के 12 छात्र नेताओं पर अवैध रूप से निष्कासन कर कार्रवाई करती हैं। आज विश्वविद्यालय के 12 छात्रों के निष्कासन को 13 दिन हो चुके हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अभी तक किया गया छात्रों का अवैध निष्कासन वापिस नहीं किया गया है। 

एसएफआई राज्य कमेटी सदस्य उपेंद्र ने कहा कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से कांग्रेस सरकार प्रदेश के अंदर लगातार शिक्षा का निजीकरण करने का काम कर रही है और 15 से 20 किलोमीटर के दायरे के स्कूलों को बंद करने की कैबिनेट में नोटिफिकेशन जारी की है जिसका एसएफआई विरोध करती है। एक तरफ तो कांग्रेस 12 जनवरी 2024 को नई शिक्षा नीति को वापस करने के लिए होने वाला पार्लियामेंट मार्च का समर्थन कर रही है। एसएफआई के साथ जनवादी और प्रगतिशील  संगठन भी उसका समर्थन करेंगे कांग्रेस भी मार्च का समर्थन कर रही है और दूसरी तरफ प्रदेश के अंदर वर्तमान में कांग्रेस की सरकार नई शिक्षा नीति का समर्थन कर रही है जिसके चलते कांग्रेस का दोहरा चरित्र सामने नजर आ रहा है। 

विश्वविद्यालय के अंदर भी जब इसका एसएफआई विरोध करती है तो एसएफआई के छात्र नेताओं को मोदी सरकार के दबाव के चलते विश्वविद्यालय प्रशासन अवैध रूप से निष्कासित करते हुए अपना फैसला लेता है। एसएफआई इस निष्कासन का विरोध करती है और विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग करती है कि वह 12 लोगों का निष्कासन वापस ले। 

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