विनाशकारी आपदाओं का कारण बनी हिमाचल में चरम मौसमी घटनाएं : राजन कुमार शर्मा

हिमाचल प्रदेश राज्य भारत के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में स्थित एक सुंदर एवं रमणीक पर्यटन स्थल है। इस राज्य में विभिन्नता में एकता देखने को मिलती है जैसे कि यहां पर ऊंचे-ऊंचे पर्वत, पठार, दर्रे , नदियां, समतल क्षेत्र आदि विद्यमान है। अतः जाहिर है कि इस तरह की विभिन्नता होने पर राज्य की आपदा दृष्टिकोण से संवेदनशीलता और अधिक बढ़ जाती है

Aug 13, 2024 - 20:19
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विनाशकारी आपदाओं का कारण बनी हिमाचल में चरम मौसमी घटनाएं : राजन कुमार शर्मा

यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन  13-08-2024

हिमाचल प्रदेश राज्य भारत के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में स्थित एक सुंदर एवं रमणीक पर्यटन स्थल है। इस राज्य में विभिन्नता में एकता देखने को मिलती है जैसे कि यहां पर ऊंचे-ऊंचे पर्वत, पठार, दर्रे , नदियां, समतल क्षेत्र आदि विद्यमान है। अतः जाहिर है कि इस तरह की विभिन्नता होने पर राज्य की आपदा दृष्टिकोण से संवेदनशीलता और अधिक बढ़ जाती है। आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ राजन कुमार शर्मा का कहना है कि अगर बात करें पिछले लगभग एक दशक से यह वर्ष 2016 से अब तक राज्य में विभिन्न प्रकार की आपदाओं जिसमें की प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाएं शामिल हैं उनमें बढ़ोतरी देखने को मिली है। यदि इसका विस्तृत रूप से अवलोकन एवं विश्लेषण किया जाए तो पाया गया कि इन आपदाओं की बढ़ोतरी का कारण जलवायु परिवर्तन के अतिरिक्त पिछले कुछ समय से चरण मौसमी घटनाओं (Extreme Weather Events) का एकाएक बढ़ जाता है। 
इस दशक में सबसे भयानक त्रासदी राज्य में वर्ष 2023 के दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान देखी गई थी जिसमें की राज्य को लगभग 12000 करोड़ रुपए का नुकसान तथा लगभग 350 से अधिक मौतों का आकलन आपदा उपरांत किया गया। यह इस दशक की अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी थी जिसमें की इतनी अधिक स्तर पर जान माल एवं मानसिक रूप से राज्य के लोगों को व्यथित किया। यदि हम इस वर्ष में दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान की बात करें तो हिमाचल में मानसून के दौरान 11 अगस्त 2024 तक लगभग 9 करोड़ रुपए का नुकसान, 185 मौतें, 325 घायल, 46 लोग लापता हुए हैं। इस सीजन के दौरान चरम मौसमी घटनाओं के द्वारा राज्य में 31 जुलाई एवं 11 अगस्त को अधिकतर जिलों में भारी नुकसान देखने को मिला। इस दौरान सबसे अधिक नुकसान राज्य के जिला कुल्लू, मंडी, शिमला (समेज,बागीपुल) एवं ऊना जिला में अधिक मात्रा में रिकॉर्ड किया गया। 
जिला सिरमौर की अगर बात करें तो 11 एवं 12 अगस्त 2024 को हुई भारी बरसात से जिला में लगभग 13 करोड़ 57 लाख 8 के लगभग विभिन्न विभागों को नुकसान हुआ। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार की जान माल के नुकसान की सूचना प्राप्त नहीं हुई है। इसके अतिरिक्त देखने में पाया गया कि पिछले कुछ वर्षों से जिला सिरमौर में एकाएक बदल फटने की घटनाएं सामने आई हैं जिसमें कि यदि हम आंकड़ों की बात करें तो 25 सितंबर 2022 को सिरमौर के मानगढ़ बडू साहिब क्षेत्र में बादल फटने से एक व्यक्ति की मृत्यु हुई, 10 अगस्त 2023 को सिरमौर के मालजी गांव में पांच व्यक्तियों के मलबे में फंसने की घटना सामने आई थी जिसे कि बाद में बचाव दलों के द्वारा सुरक्षित निकाल लिया गया था, इसके साथ ही 12 अगस्त 2023 को जिला सिरमौर के नहान एवं पांवटा साहिब उप मंडलों के अंतर्गत गांव कडईवाला व सिरमौरी ताल में बादल फटा तथा इससे सिरमौर ताल में एक ही घर के पांच सदस्यों की मृत्यु हुई। 
यदि हम वर्ष 2024 की बात करें तो हाल ही में 19 जुलाई 2024 को पांवटा साहिब क्षेत्र के अंतर्गत दाना गांव के समीप ही बादल फटने एवं एकाएक बाढ़ आने से स्थानीय मंदिर बह गया एवं एक व्यक्ति की मृत्यु रिकॉर्ड की गई थी। इन सभी घटनाओं का आंकड़ा एकत्रित कर नीचे तालिका में विस्तृत रूप से दिया गया है। इन उपरोक्त घटनाओं से यह जान लेना सही है कि जिस तरह से एक्सट्रीम वेदर इवेंट होने की वजह से राज्य एवं जिला में पिछले कुछ समय से मौसम की इन घटनाओं से विभिन्न प्रकार की आपदाओं की संख्या बढ़ रही है जिससे कि आने वाले समय में भी जिला में इस तरह की घटनाएं घटित होने की संभावनाएं बनी है। बता दें कि जब किसी भी एक क्षेत्र में किसी समय 1 घंटे में 100 मिली मीटर से अधिक बारिश दर्ज की जाए तो उसे ही बादल फटने की घटना कहा जाता है जिससे कि एकाएक उसे क्षेत्र एवं आसपास के क्षेत्र में एकाएक तीव्र बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होती है जो की जान एवं माल एवं विनाशकारी आपदा का रूप धारण कर लेती है। 
पानी से भरे हुए यह बादल जब पहाड़ों के बीच में फंस जाते हैं तो अधिक घनत्व होने के कारण एक ही स्थान पर बरसाना शुरू कर देते हैं जिससे कि बादल फटने की घटनाएं आजकल न केवल ऊंचाई वाले क्षेत्र बल्कि निकले समतल क्षेत्र में भी देखने को मिल रहे हैं। हमें इस तरह की आपदाओं से बचने के लिए समय-समय पर मौसम विज्ञान केंद्र एवं आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों द्वारा जारी परामर्शों एवं चेतावनी संदेशों का पालन करना चाहिए एवं खराब मौसम की स्थिति में अत्यधिक आवश्यक होने पर ही अपने घरों से बाहर जाना चाहिए, अनावश्यक यात्राओं एवं तीर्थ यात्राओं को करने से बचना चाहिए। इस तरह से सभी लोगों के सहयोग से राज्य में आपदाओं से होने वाले जान एवं माल के नुकसान को कम किया जा सकता है ताकि यह राज्य को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की ओर एक कारगर कदम सिद्ध हो सके।
 

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