यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 04-11-2025
केंद्र सरकार राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में देशभर में भव्य उत्सवों के आयोजन करने जा रही हैं। स्वतंत्रता संग्राम में इस गीत की ऐतिहासिक भूमिका को ध्यान में रखते हुए देश एवं प्रदेश स्तर पर भाजपा द्वारा व्यापक जनभागीदारी वाले कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं विधायक विपिन परमार ने कहा कि भारत में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् को पूरे हुए 150 वर्ष गर्व के साथ मनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति और एकता का प्रतीक है, जिसे देश के हर स्कूल की दैनिक प्रार्थना में शामिल किया जाना चाहिए। भाजपा नेता ने बताया कि 7 नवम्बर को सुबह 11 बजे भाजपा हर संसदीय क्षेत्र में वंदे मातरम् का सामूहिक गान करेगी।
शिमला में यह कार्यक्रम अंबेडकर चौक, कांगड़ा में कांगड़ा विधानसभा परिसर, मंडी में कल्लू, और हमीरपुर में आयोजित होगा। विपिन परमार ने कहा कि यह गीत आज भी राष्ट्रवाद, एकता और मातृभूमि के प्रति समर्पण का प्रतीक है और इसके 150 वर्ष गर्व और सम्मान के साथ मनाए जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिम लीग को खुश करने के लिए वंदे मातरम् को पूरी तरह लागू नहीं होने दिया। कांग्रेस ने गीत के कई अंतरों को हटा दिया, जो उसकी राष्ट्रविरोधी मानसिकता को दर्शाता है।उन्होंने कहा कि 1937 में कांग्रेस कार्य समिति ने निर्णय लिया था कि पाँच छंदों वाले इस गीत के केवल पहले दो छंद ही गाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बार-बार वंदे मातरम् के प्रति असहिष्णुता दिखाई 2019 में मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सचिवालय में इस गीत को गाने पर रोक लगाई थी।
जबकि 2017 में एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने स्कूलों में वंदे मातरम् गाना अनिवार्य करने का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिम लीग को खुश करने के लिए वंदे मातरम को पूर्ण रूप ने लागू नहीं होने दिया, गीत के कई अंतरों को काट दिया गया। यह कांग्रेस की असली सोच को दर्शाता है। अंग्रेज जो काम करने में विफल रहे (गीत पर प्रतिबंध लगाना), वह कांग्रेस ने किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने एक समुदाय को खुश करने के लिए "वंदे मातरम" का एक हिस्सा हटा दिया। उन्होंने कहा कि 1937 में, कांग्रेस कार्य समिति ने यह निर्णय लिया था कि मूल रूप से पाँच छंदों वाले इस गीत के केवल पहले दो छंद ही गाए जाएँगे। विपिन परमार ने कहा कि 1923 में काकीनाडा में हुए कांग्रेस अधिवेशन में पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर को वंदे मातरम गाने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन उस वर्ष कांग्रेस अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद अली ने धार्मिक आधार पर आपत्ति जताई और कहा कि इस्लाम में संगीत वर्जित है। मुस्लिम लीग के नेताओं को खुश करने के लिए, 1937 में कांग्रेस कार्यसमिति ने राष्ट्रीय गीत को आधिकारिक रूप से बदलने का निर्णय लिया।
बाद में भी और कई मौकों पर, कांग्रेस और उसके नेताओं ने विभिन्न मंचों पर वंदे मातरम के प्रति अपनी असहिष्णुता दिखाई। एआईएमआईएम नेता श्री अकबरुद्दीन ओवैसी ने 2017 में मांग की थी कि स्कूलों में छात्रों के लिए वंदे मातरम गाना अनिवार्य करने वाले सर्कुलर को रद्द किया जाए। तेलंगाना सरकार ने अब कहा है कि स्कूलों में वंदे मातरम गाना अनिवार्य नहीं किया जाएगा। 2019 में, मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सचिवालय में वंदे मातरम गाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम को लेकर भाजपा 7 नवंबर को प्रातः 11:00 बजे प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में इसका सामूहिक गान करेगी। शिमला के अंबेडकर चौक, कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में विधानसभा कांगड़ा, मंडी में कल्लू और हमीरपुर में इन भाव कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।