यंगवार्ता न्यूज़ - पांवटा साहिब 26-08-2023
हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब घाटी के कर्नल शेरजंग राष्ट्रीय उद्यान सिंबलवाड़ा में फिर बाघ (टाइगर) ट्रैप कैमरे में कैद हुआ है। करीब आठ माह बाद इस क्षेत्र में बाघ की कदमताल से वन्य प्राणी विभाग बेहद उत्साहित है। बाघ की इस क्षेत्र में लगातार चहलकदमी बढ़ रही है। इससे पहले 23 जनवरी को पहली बार सिरमौर में बाघ के पैरों के निशान मिले थे। इसके ठीक एक माह बाद 19 फरवरी को विभाग के ट्रैप कैमरों में बाघ की पहली तस्वीर कैद हुई थी। अब फिर बाघ की इस क्षेत्र में मौजूदगी से विभाग काफी खुश है।
माना जा रहा है कि यहां का अनुकूल वातावरण बाघ को पसंद आ रहा है। पहले कभी सिंबलबाड़ा में बाघ नहीं देखा गया था। दरअसल, चीला-मोतीचूर कॉरिडोर को उत्तराखंड में वन्यजीवों का सबसे बड़ा और पुराना कॉरिडोर (गलियारा) माना जाता है। इस गलियारे से पहले हाथी और बाघ जैसे वन्यजीव हरिद्वार से शिवालिक के जंगल होते हुए कार्बेट की ओर आते-जाते थे। माना जा रहा है कि उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क से ही चीला मोतीचूर कॉरिडोर से बाघ यहां पहुंच रहा है।
बता दें कि सिंबलबाड़ा में पहली बार बाघ की कदमताल के बाद विभाग ने गंगूवाला बाग में तीन तेंदुओं को भी एक साथ ट्रैप कैमरों में कैद किया था। गौर हो कि राष्ट्रीय उद्यान सिंबलबाड़ा में पिछले दिनों ही एक साथ 10 हाथी कैमरे में कैद हुए हैं। विभाग के अनुसार सिंबलबाड़ा सूबे का एकमात्र ऐसा संरक्षित क्षेत्र है, जहां अकसर एशियाई हाथी दस्तक दे रहे हैं, जो पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से यहां पहुंच रहे हैं। ये अलग बात है कि हाथियों के झुंड पिछले लंबे अरसे से सिरमौर में फसलों को भी नुकसान पहुंचाते आ रहे हैं।
लेकिन हाथियों का सिरमौर के विभिन्न इलाकों में दस्तक देना भी यहां के अनुकूल वातावरण को दर्शा रहा है। वन्य प्राणी विंग के डीएफओ एन रविशंकर ने यंगवार्ता न्यूज़ को बताया कि टाइगर ने फिर सिंबलबाड़ा नेशनल पार्क में दस्तक दी है। इसकी कदमताल कैमरे में कैद हुई है। यह अच्छा संकेत है। अच्छी बात यह भी है कि बाघ विचरण के लिए हिमाचल के नेशनल पार्क का इस्तेमाल कर रहा है। कुछ दिन पहले पार्क में 10 हाथी भी पहुंचे थे।