मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सीटू की बैठक यूनियन प्रदेशाध्यक्ष इंद्र सिंह की अध्यक्षता में संपन्न 

मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू की हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी की बैठक यूनियन प्रदेशाध्यक्ष इंद्र सिंह की अध्यक्षता में शिमला में सम्पन्न

Jan 16, 2025 - 20:49
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मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सीटू की बैठक यूनियन प्रदेशाध्यक्ष इंद्र सिंह की अध्यक्षता में संपन्न 

 यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला    16-01-2025

मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू की हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी की बैठक यूनियन प्रदेशाध्यक्ष इंद्र सिंह की अध्यक्षता में शिमला में सम्पन्न हुई। बैठक में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, उपाध्यक्ष जगत राम, बालक राम, नरेंद्र विरुद्ध, यूनियन अध्यक्ष इंद्र सिंह, सचिव शांति देवी, पुष्पा शर्मा, सुदेश कुमार, विरेंद्र, राजमिला, बलविंदर कौर, पूनम, मीना, मीरा खान, नरेंद्रा, रीता, संदेश, वीर सिंह, किरण, बिमला, अहिल्या देवी आदि शामिल रहे।

विजेंद्र मेहरा, जगत राम, इंद्र सिंह व शांति देवी ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि मिड डे मील वर्कर्स की मांगों व मोदी सरकार की मिड डे मील वर्कर्स विरोधी नीतियों के खिलाफ मार्च महीने में प्रदेशव्यापी हड़ताल का आयोजन किया जाएगा। इस कड़ी में मार्च महीने में होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान हिमाचल प्रदेश के हजारों मिड डे मील कर्मी शिमला में विशाल रैली करेंगे। 

उन्होंने कहा कि प्रदेश में कार्यरत 21 हजार मिड डे मील कर्मियों की स्थिति बेहद दयनीय है। इनके लिए मात्र 4500 रुपये प्रतिमाह वेतन घोषित किया गया है जोकि कई कई महीनों तक नहीं मिलता है। समय पर वेतन न मिलने से मिड डे मील कर्मियों को अपना जीवनयापन करना बेहद मुश्किल हो रहा है। मिड डे मील वर्करज यूनियन सम्बन्धित सीटू द्वारा हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर की गई। 

याचिका पर प्रदेश उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने वर्ष 2019 व डबल बेंच ने वर्ष 2024 में फैसला दिया है कि मिड डे मील कर्मियों को 10 महीने के बजाए 12 महीने का वेतन दिया जाए परन्तु प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक इस फैसले को लागू नहीं किया गया है व इस मसले को माननीय सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर अपनी मिड डे मील वर्कर्स विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है। 

मिड डे मील कर्मियों को साल में एक भी छुट्टी नहीं दी जाती है। उन्हें एमरजेंसी, हारी बीमारी व पारिवारिक कार्यक्रमों में छुट्टी करने पर अपनी जगह रिलीवर भेजना पड़ता है जिसकी पांच सौ से सात सौ रुपये की दिहाड़ी का खर्चा भी उन्हें खुद ही उठाना पड़ता है जबकि उन्हें स्वयं अपने कार्य की दिहाड़ी रिलीवर को दी जाने वाली दिहाड़ी का एक चौथाई डेढ़ सौ रुपये ही दी जाती है। 

प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक के लिखित आदेशों के बावजूद मिड डे मील कर्मियों से किचन गार्डन, झाड़ियां काटने, साफ सफाई, पानी की टंकियां साफ करवाने व अन्य कई  तरह का अतिरिक्त कार्य करवाया जाता है जिसका उन्हें कभी अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जाता है। 

उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 व वर्ष 2024 में माननीय उच्च न्यायालय ने मिड डे मील कर्मियों को 10 महीने के बजाए 12 महीने का वेतन देने का निर्णय सुनाया है। परन्तु माननीय उच्च न्यायालय के फैसले को अभी तक लागू नहीं किया गया है। उन्होंने मांग की है कि सरकार द्वारा इस फैसले को लागू किया जाए ताकि प्रदेश के हजारों मिड डे मील कर्मियों को आर्थिक लाभ मिल सके। 

प्रदेश सरकार द्वारा कम बच्चों की संख्या वाले स्कूलों को बन्द करने व कुछ स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज करने पर इन स्कूलों में कार्यरत मिड डे मील वर्करज को भी अन्य कर्मचारियों की तर्ज पर अनिवार्य तौर पर अन्य नजदीकी स्कूलों में समायोजित किया जाए। मिड डे मील कर्मियों को प्रतिमाह पहली तारीख को वेतन का भुगतान किया जाए। 

महिला मिड डे मील कर्मियों को राज्य में अन्य महिला कर्मचारियों की तर्ज पर रक्षाबंधन, करवाचौथ व भाई दूज की वेतन सहित छुट्टियां दी जाएं। साधारण अथवा क्लस्टर स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ने पर अतिरिक्त मिड डे मील कर्मियों की नियुक्ति की जाए।

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