यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 20-11-2023
एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने नई शिक्षा नीति के विरोध में विश्वविधालय में और प्रदेश सरकार के छात्र विरोधी निर्णय के खिलाफ दो नवंबर को विवि में मशाल जुलूस के माध्यम से धरना प्रदर्शन किया था। 2020 में लाई गई शिक्षा नीति के जरिए केंद्र तथा प्रदेश सरकार शिक्षा का भगवाकरण तथा व्यापारीकरण करने का प्रयास कर रही है। एनईपी के जरिए सीबीसीएस को छात्रों पर थोपा जा रहा है। सीबीसीएस में ऐसे विषय छात्रों को पढ़ने पड़ रहे हैं जिसका औचित्य उनके भविष्य में रोजगार की दृष्टि से कुछ भी नहीं है। एनईपी में 10 से 15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी विद्यालयों को बंद करने की बात एनईपी में कही गई है।
इसका उदाहरण हमें 27 अक्टूबर को समाचार पत्र के माध्यम से मिलता है। जो इस प्रदेश की कांग्रेस सरकार का निर्णय था हम जानते है कि हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी क्षेत्र है जहां पर चंबा किन्नौर लाहौल स्पीति जैसे अन्य कई दुर्गम इलाके है। जहां पर एक 6 साल का बच्चा 10 से 15 किलोमीटर का सफर तय नहीं कर सकता। इसके साथ साथ भारत जैसे पुरुष प्रधान समाज में लड़कियों को बहुत कम संख्या में शिक्षा दी जाती है। यदि उनके गांव के आस पास के विद्यालयों को बंद कर दिया जाएगा तो साधारण परिवारों की लड़कियां शिक्षा से वंचित रह जाएंगी।
अपनी बात को बढ़ाते हुए उन्होंने कहा की एनईपी के माध्यम से सरकार सेमेस्टर प्रणाली को लागू करने जा रही है परंतु हिमाचल प्रदेश जैसा राज्य जहां पर कुछ जिले ऐसे है। जहां पर 6 से भी ज्यादा महीनों तक बर्फ रहती है वह छात्र किस प्रकार शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे ? लेकिन वहीं दूसरी ओर देखा जाए एसएफआई ने जब भी छात्र विरोधी नीतियों का विरोध किया। तब -तब हमेशा ही परिसर में सरकार पिछलग्गू संगठनों द्वारा परिसर का माहौल खराब किया जाता है।
वहीं अगर आज की बात की जाए आज परिसर मे एनएसयूआई के सरकारी गुंडों द्वारा एसएफआई के कार्यकर्ताओं पर तेज़धार हथियारों से हमला किया जाता है , जिसमें एसएफआई के छात्रों के शरीर मे गहरी चोटें आई हैं। अगर इन गुंडों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की जाती तो एसएफआई विवि इकाई वि.वि. प्रशासन और प्रदेश की सरकार प्रदेश के सभी छात्रों को लामबन्द करते हुए घेराव करेगी जिसका ज़िम्मेदार विवि प्रशासन और प्रदेश की सरकार होगी।