सफलता की कहानी : दो बीघा बंजर भूमि में ट्राउट मछली पालन करके 5 लोग सालाना कमा रहे 15 से 18 लाख रुपये  

मजबूत इरादों से यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो सफलता अवश्य कदम चूमती है, भले ही परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों न हो। यह कर दिखाया है मंडी जिला की चच्योट तहसील के देवधार क्षेत्र के एक छोटे से गांव दहड़ के पांच लोगों ने।

Sep 22, 2024 - 13:16
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सफलता की कहानी : दो बीघा बंजर भूमि में ट्राउट मछली पालन करके 5 लोग सालाना कमा रहे 15 से 18 लाख रुपये  

30 लाख रुपए से बनाए 12 ट्राउट रेसवेज, मत्स्य विभाग से मिला 11.60 लाख रुपए का अनुदान

यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी   22-09-2024

मजबूत इरादों से यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो सफलता अवश्य कदम चूमती है, भले ही परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों न हो। यह कर दिखाया है मंडी जिला की चच्योट तहसील के देवधार क्षेत्र के एक छोटे से गांव दहड़ के पांच लोगों ने। प्रदेश सरकार ने युवाओं, किसानों, बागवानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रखी हैं। 

इन योजनाओं का लाभ लेकर वे समृद्धि और खुशहाली की ओर अग्रसर हो रहे हैं। इनके लिए सरकार की योजनाएं वरदान साबित हुई हैं और यह सभी केवल दो बीघा बंजर भूमि में ट्राउट मछली पालन करके सालाना 15 से 18 लाख रुपये की आय अर्जित कर रहे हैं।  

खेती-बाड़ी पर निर्भर रहने वाले दहड़ के नेत्र सिंह को वर्ष 2018 में एक ट्राउट मछली पालक ने उनकी खड्ड किनारे बंजर भूमि होने पर ट्राउट मछली पालन करने की सलाह दी। जिस पर अमल करते हुए नेत्र सिंह ने मत्स्य विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क कर, नीली क्रांति योजना के अंतर्गत ट्राउट मछली पालन के लिए अनुदान प्राप्त कर कार्य शुरू किया। 

नेत्र सिंह ने इसके बाद कुछ और लोगों को भी इससे जोड़ा और सभी ने 30 लाख रुपये व्यय करके 12 ट्राउट रेसवेज का निर्माण कर लिया। योजना के अंतर्गत इसके निर्माण के लिए 11.60  लाख रुपये का अनुदान मत्स्य विभाग ने दिया। 

ट्राउट मछली पालन में नेत्र सिंह को महंगे मत्स्य आहार की समस्या सामने आई तो उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का लाभ उठाते हुए 12 लाख रुपये के अनुदान से 30 लाख रुपये का लघु मत्स्य आहार यूनिट भी स्थापित कर लिया। 

वर्तमान में वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ ही क्षेत्र के अन्य ट्राउट मछली पालकों को भी सस्ती दरों पर गुणवत्तायुक्त मछली आहार उपलब्ध करवा रहे हैं। इसके साथ ही अन्य सदस्य ने मछली ढोने के लिए गाड़ी भी खरीद ली। मत्स्य आहार की लागत कम होने से अब वह ट्राउट मछली पालन तथा मत्स्य आहार बेच कर सालाना और अधिक आय अर्जित कर लेंगे।

जिला उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने कहा मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू के निर्देश पर युवाओं को मत्स्य पालन से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मंडी जिला में कई खड्डों में पूरा साल पानी रहता है। 

इन खड्डों के किनारे मछली उत्पादन की व्यापक संभावनाएं हैं। मत्स्य विभाग को सहकारिता विभाग से समन्वय बनाकर मत्स्य सहकारी सभाओं का गठन करने के लिए संभावनाओं को तलाशने के निर्देश दिये गए हैं।

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