हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले का गुज्जर समाज ने किया स्वागत

हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले का गुज्जर समाज स्वागत करता है हमे हमेशा से भरोसा था कि कोर्ट से हमे न्याय मिलेगा क्योंकि हमारा विरोध तथ्यों और वास्तविकता पर आधारित

Jan 4, 2024 - 19:36
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हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले का गुज्जर समाज ने किया स्वागत

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला      04-01-2024

हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले का गुज्जर समाज स्वागत करता है हमे हमेशा से भरोसा था कि कोर्ट से हमे न्याय मिलेगा क्योंकि हमारा विरोध तथ्यों और वास्तविकता पर आधारित था। प्रदेश के पिछड़े वंचित वर्ग के साथ हो रहे अन्याय और हमारी आशंकाओं का संज्ञान लेने और एक ऐतिहासिक अंतरिम जजमेंट के लिए हैं। 

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के तहे दिल से आभारी है और इससे न्यायपालिका मे हमारा विश्वास और भी गाढ़ा हो गया। आज का दिन गुर्जर समाज के संघर्ष मे एक स्वर्णिम दिन है जिससे हमारे समुदाय के आम जनमानस को एक राहत मिली है और हर वो आदमी जो इस संघर्ष का हिस्सा बना बधाई का पात्र है। 

इसके अलावा हम गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति को भी शुभकामनाएं देते है उनके संघर्ष ने हमे हमेशा से प्रेरणा दी और बडे भाई की तरह इस संघर्ष की अगुवाई की उनके साथ के बिना यह संभव नहीं था। 

हम इस बात को समझते है अभी लंबी लडाई बाकी है और इसमे कई उतार चड़ाव आयेंगे परन्तु हमे आशा है की अपने संवैधानिक अधिकारों की लडाई मे आखिरकार जीत हमारी ही होगी। 

हाटी आरक्षण बिल पर हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश रिज़र्व करने के बावजूद राज्य सरकार ने इसको लागू करने का आदेश जारी कर दिया जो कि न सिर्फ कोर्ट के आदेश की अवहेलना और संवैधानिक व्यवस्था के साथ खिलवाड है बल्कि अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों की लूट और आरक्षण की व्यवस्था को कमजोर करने की सजिश थी। 

राज्य सरकार ने ये तो स्पष्ट कर दिया था कि अनुसूचित जातियाँ इसमे नहीं आयेंगी परंतु ये कहीं नहीं बताया की कौन सी जातियाँ आयेंगी। 
1) TRTI द्वारा तैयार की गयी काल्पनिक रिपोर्ट मे भी कहीं ये नहीं लिखा कि राजपूत और ब्राह्मण जैसी सवर्ण जातियाँ हाटी समुदाय का हिस्सा है। खश कनेत् और भाट और अनुसूचित जातियों के अलावा अनेकों जातियाँ गिरिपार मे रहती है क्या वो सब आदिवासी बन गए। 

2) कौन से वर्ष से पहले बसे लोगों को गिरिपार का मूलनिवासी माना जाए इस बात का भी कोई जिक्र नहीं है। जो लोग बाहर से जाकर वहाँ बसे है क्या वो भी मूलनिवासी मान लिए गए है? 

3) केंद्र सरकार द्वारा जारी स्पष्टिकरण मे कहा गया की क्योंकि SC और ST लिस्ट परस्पर व्ययवर्तक् (mutually exclusive) है और चूंकि SC लिस्ट मे आनी वाली जातियों को SC लिस्ट से नहीं निकाला गया इसलिए गिरिपार का SC समुदाय ST मे नहीं आयेगा परंतु यह बात OBC कैटेगरी पर भी लागू होती है उन्हे भी OBC लिस्ट से नहीं निकाला गया तो फिर OBC मे आने वाले भाट ब्राह्मणों को कैसे ST मे डाला जा रहा है या फिर वो दोनों सर्टिफिकेट लेते रहेगे ? 

4) क्या पहले जारी किये गए OBC और EWS प्रमाण पत्र निरस्त किये जायेंगे ? और ताज्जुब की बात तो यह है कि इस आधार पर राजनीतिक दबाव के चलते कुछ अधिकारी सर्टिफिकेट भी बाँटने लगे हम उनसे पूछना चाहते है कि क्या उन्होंने दिव्य दृष्टि से आकलन कर लिया कौन हाटी है और कौन नहीं ? 

क्योंकि रेवेन्यू रिकॉर्ड मे हाटी जाती दर्ज नहीं जिसकी पुष्टि सरकार ने खुद की है। हाई कोर्ट का यह फैसला बहुत ही सही समय पर आया है जिसने संविधानिक व्यवस्था को बचाने का काम किया है। 

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