बदलती जीवनशैली और मोबाइल पर बढ़ती निर्भरता की वजह से प्रभावित हो रही लोगों की नींद
बदलती जीवनशैली और मोबाइल पर बढ़ती निर्भरता की वजह से लोगों की नींद प्रभावित हो रही है। इसके चलते शारीरिक ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ रहा है। एम्स बिलासपुर की फिजियोलॉजी विभाग की अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. पूनम वर्मा ने नींद के महत्व पर चेताया

यंगवार्ता न्यूज़ - बिलासपुर 16-04-2025
बदलती जीवनशैली और मोबाइल पर बढ़ती निर्भरता की वजह से लोगों की नींद प्रभावित हो रही है। इसके चलते शारीरिक ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ रहा है। एम्स बिलासपुर की फिजियोलॉजी विभाग की अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. पूनम वर्मा ने नींद के महत्व पर चेताया है।
उन्होंने कहा कि नींद सिर्फ विश्राम नहीं, बल्कि शरीर और दिमाग की मरम्मत की प्रक्रिया है। इसे नजरअंदाज करना गंभीर बीमारियों की ओर ले जा सकता है। डॉ. वर्मा ने बताया कि नींद मुख्य रूप से दो भागों में होती है। नॉन रैपिड आई मूवमेंट और रैपिड आई मूवमेंट। नॉन रैपिड आई मूवमेंट नींद में तीन चरण होते हैं।
जिससे मांसपेशियां आराम करती हैं, शरीर की मरम्मत होती है और ऊर्जा संचित होती है। यह हमारी याददाश्त, प्रतिरक्षा प्रणाली और शरीर के विकास के लिए आवश्यक है। इस दौरान हृदय गति और श्वसन धीमा हो जाता है, जिससे हृदय और रक्तचाप को स्थिर रखने में मदद मिलती है।
रैपिड आई मूवमेंट नींद स्मृति, रचनात्मकता और भावनात्मक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है। इस नींद में आंखें तेजी से हिलती हैं,और यह मस्तिष्क के लिए
रीसेट बटन की तरह काम करती है। एक संपूर्ण नींद चक्र लगभग 90 मिनट का होता है और एक रात में ऐसे 4-6 चक्र आते हैं। यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन छह घंटे से कम सोता है, तो उसके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे हृदय रोग, टाइप-2 मधुमेह, मोटापा, मानसिक अवसाद और रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट जैसे गंभीर खतरे हो सकते हैं।
मोबाइल, लैपटॉप और टीवी जैसे उपकरणों से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन हार्मोन के निर्माण को बाधित करती है। यह हार्मोन नींद के लिए जरूरी होता है। नींद को महत्व देना स्वस्थ जीवनशैली की पहली सीढ़ी है। अगर हम इसे प्राथमिकता देंगे तो न सिर्फ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहेगा, बल्कि कार्यक्षमता और जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
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