यंगवार्ता न्यूज़ - हमीरपुर 08-12-2025
पूर्व केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने आज लोकसभा में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि वंदे मातरम् से राष्ट्रभक्तों के लिए एनर्जी मिलती है जबकि राष्ट्रविरोधियों के लिए यह एलर्जी है और वंदे मातरम सिर्फ गीत नहीं बल्कि राष्ट्रप्रेम की रीत है और कांग्रेस इसी से भयभीत है। अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि वंदे मातरम् कोई धार्मिक गीत नहीं, किसी व्यक्ति या दल या राज्य का गीत नहीं, वंदे मातरम् राष्ट्र की आत्मा का गीत है, भारत के गौरव का गीत है, हर भारतीय के आशाओं-आकांक्षाओं का सुरमयी गीत है। वंदे मातरम से जो हिस्से कांग्रेस ने, जवाहरलाल नेहरू के कहने पर हटाए..उन हिस्सों के बड़े किस्से हैं। उन हिस्सों में मां दुर्गा की स्तुति थी। शक्ति की आराधना थी, उन हिस्सों को हटाना भारत की आत्मा को चीरना था। कांग्रेस एंड कंपनी ने वंदे मातरम् के विरुद्ध एक महापाप किया है।
आज जबकि उस महामंत्र के रचना का एक सौ पचासवां साल मनाया जा रहा है कांग्रेस चाहे तो उस महापाप का प्रायश्चित कर सकती है। लेकिन रेडिकल कम्युनिज्म और लीगी मानसिकता से घिरे कांग्रेस नेतृत्व से इस तरह के सद्बुद्धि की उम्मीद करना बेकार है। अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि जिन्ना और लीगी मानसिकता को खुश करने के लिए नेहरू जी ने बंदे मातरम को काट छांट कर छोटा कर दिया। 1947 में उसी जिन्ना को खुश करने के लिए इन्होंने भारत के दो टुकड़े भी कर दिए। आजादी के 78 साल बाद भी कांग्रेस पार्टी जिन्ना के मुन्ना को खुश रखने के लिए वंदे मातरम् पर गन्दी राजनीति कर रही है। भारत का राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' इच्छा और अनिच्छा का विषय नहीं हो सकता। क्या सच में मातृभूमि के सामने सर झुकाने से भारत माता को नमन करने से किसी के धार्मिक भावना आहत हो जाती है ? अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस और दूसरी पार्टियों में एक कॉम्पिटिशन चल रहा है की कौन सबसे अधिक वंदे मातरम का विरोध करता है।
यह कौन सी मानसिकता है कि जिस शब्द ने, जिस कविता ने राष्ट्रवाद का ज्वार पैदा किया, हमें अंग्रेज़ों से लड़ने का हौसला दिया हो उससे चंद लोगों को दिक्कतें हो रही है…जिस वंदे मातरम् पर हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए अपने जान न्योछावर किए उससे दिक्कत, जिस वंदे मातरम का धुन विश्वकवि रविंद्रनाथ टैगोर ने बनाया था उससे दिक्कत, जिस वंदे मातरम को लता दीदी ने अपनी आवाज दी उससे दिक्कत, जो वंदे मातरम चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, मदनलाल धींगरा, वीर सावरकर, राम प्रसाद विस्मिल जैसे क्रांतिकारियों का अभिवादन था उससे दिक्कत, जिस वंदे मातरम का नारा लगाने की वजह से हेडगेवार जी को स्कूल से निकाल दिया गया उससे दिक्कत, जिस वंदे मातरम के समर्थन में लेख छापने के कारण लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को देश निकाला मिला उससे दिक्कत, जिस वंदे मातरम को राष्ट्रगीत का सम्मान प्राप्त है उससे भी दिक्कत आखिर क्यों?