विश्वसनीयता कायम रखने के लिए पत्रकारिता को अपने मूल सिद्धांतों की ओर लौटना होगा : अपूर्व देवगन
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने कहा कि आज के डिजिटल युग में पत्रकारिता के समक्ष अनेक अवसर हैं, साथ ही चुनौतियां भी अपार हैं। इन चुनौतियों से पार पाने व विश्वसनीयता कायम रखने के लिए पत्रकारिता को अपने मूल सिद्धांतों और स्थापित नियमों की ओर लौटना होगा
उपायुक्त ने की राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित जिला स्तरीय संगोष्ठी की अध्यक्षता
यंगवार्ता न्यूज़ -मंडी 16-11-2025
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने कहा कि आज के डिजिटल युग में पत्रकारिता के समक्ष अनेक अवसर हैं, साथ ही चुनौतियां भी अपार हैं। इन चुनौतियों से पार पाने व विश्वसनीयता कायम रखने के लिए पत्रकारिता को अपने मूल सिद्धांतों और स्थापित नियमों की ओर लौटना होगा। वे आज यहां राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर आयोजित जिला स्तरीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
भारतीय प्रेस परिषद की ओर से इस वर्ष संगोष्ठी का विषय “बढ़ती भ्रामक सूचनाओं के बीच प्रेस की विश्वसनीयता का संरक्षण” रखा गया था। इस अवसर पर उप निदेशक, सूचना एवं जन सम्पर्क कुमारी मंजुला विशेष रूप से उपस्थित रहीं।
उपायुक्त ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) के इस दौर में उन्नत प्रौद्योगिकी ने मीडिया को अनेक सुविधाएं दी हैं। समाचार सम्प्रेषण से लेकर उसके प्रस्तुतिकरण तक में इसका उपयोग निरंतर बढ़ा है। उन्होंने कहा कि एआई व अन्य संचार माध्यमों से सूचना प्रवाह बढ़ने से यह नागरिक समाज सहित पत्रकारिता जगत के लिए भी कई चुनौतियां लेकर आया है।
पत्रकारों को समय सीमा के भीतर अपनी स्टोरी भेजने से लेकर सूचना की पुष्टि तक कई चरणों में कार्य करना होता है। ऐसे में कई बार भ्रामक सूचनाओं के जाल में फंसने की संभावनाएं रहती हैं। उन्होंने कहा कि तथ्यात्मक रूप से पुष्ट जानकारी, तटस्थ, पारदर्शी और निष्पक्ष ढंग से कार्य करते हुए पत्रकारिता के उच्च मानकों को बनाए रख कर ही वे अपनी विश्वसनीयता कायम रख सकते हैं। आज का युवा प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से क्यों दूर होता जा रहा है, इस पर भी मंथन करना समीचीन होगा।
अपूर्व देवगन ने कहा कि तथ्यपरक समालोचना से शासन-प्रशासन को भी महत्वपूर्ण फीडबैक प्राप्त होता है, जिससे व्यवस्था में सुधार व जन सेवाओं को और भी नागरिक सुलभ बनाए रखने में मदद मिलती है। हाल ही की आपदा के दौरान स्थानीय मीडिया ने अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि अपुष्ट, भ्रामक या गलत जानकारी से कई बार कानून-व्यवस्था को लेकर भी चुनौतियां सामने आ जाती हैं।
ऐसे में मीडिया कर्मियों को सही व तथ्यपरक सूचनाओं का सावधानीपूर्वक चयन करना चाहिए। पत्रकारिता क्षेत्र में विविध तरह की कठिनाइयां अवश्य हैं और पत्रकारिता के उच्च मूल्यों और नैतिकता को बनाए रखते हुए पूरी जिम्मेवारी के साथ दायित्व निभाना समय की मांग है।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार डी.पी. गुप्ता ने कहा कि सूचना प्रवाह की इन चुनौतियों को पत्रकार जगत को स्वीकार करना होगा। भ्रामक सूचनाएं कहीं से भी प्राप्त हो सकती हैं, मगर इसके प्रभाव में आए बिना दोनों पक्षों को उचित अधिमान देते हुए तथ्यों को जांच-परख करना आवश्यक है। इसी से मीडिया की विश्वसनीयता कायम रखी जा सकेगी।
पत्रकार के स्रोत पुख्ता होने चाहिए और युवा पत्रकारों को अधिकारिक पक्ष जानने की आदत डालनी होगी। उन्होंने पत्रकारिता के मूल नियमों को आत्मसात करते हुए इन पर अड़िग रहते हुए कार्य करने पर विशेष बल दिया।
वरिष्ठ पत्रकार मुरारी शर्मा ने कहा कि आज हम जिस दौर से गुजर रहे हैं, वो भ्रामक सूचनाओं और तकनीकी विस्फोट का युग है। सूचना प्रवाह के सैलाब में सही व गलत तय करना चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में मीडिया की छवि व विश्वसनीयता निष्पक्षता, तटस्थता, आमजन की पक्षधारिता से ही कायम रखी जा सकेगी। यही जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले पत्रकारों के लिए चुनौती भी है।
समयकाल में तमाम बदलावों के बावजूद पत्रकार और पत्रकारिता सामाजिक कसौटी पर परखी जाती रही है। उन्होंने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी की चकाचौंध में तथ्यों पर आधारित रिपोर्टिंग तथा “न काहू से दोस्ती न काहू से बैर” का बुनियादी सिद्धांत ही पत्रकारिता की साख बचा सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार बीरबल शर्मा ने कहा कि स्वार्थ सिद्धि के लिए भ्रामक प्रचार का चलन इस दौर में बढ़ा है। व्यक्तिगत या सामूहिक हित भी इसमें शामिल रहते हैं। ऐसे में किसी भी सूचना की दोहरी पुष्टि आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़े लोगों को अपनी पेशेवर विश्वसनीयता कायम रखने के लिए आत्ममंथन भी करना होगा। उन्होंने फील्ड में जाकर तथ्यों की पुष्टि के आधार पर ही रिपोर्टिंग करने पर बल दिया।
प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुभाष ठाकुर ने कहा कि आज के युग में मीडिया का स्वरूप तेजी से बदलता जा रहा है। विशेष तौर पर सोशल मीडिया में कोई भी सूचना पलक झपकते ही वायरल हो जाती है। ऐसे में प्रेस को अपनी विश्वसनीयता कायम रखने के लिए फैक्ट चैक पर और अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा।
वरिष्ठ पत्रकार अंकुश सूद ने कहा कि आज पत्रकारिता किस ओर जा रही है, इस पर गहन चिंतन समयानुकूल है। उन्होंने कहा कि इस सदी के शुरूआती दौर में प्रिंट पर इलेक्ट्रानिक मीडिया ने बढ़त बनाए रखने की होड़ चलाई और वर्ष 2013 के बाद सोशल मीडिया अब पारंपरिक मीडिया पर हावी होता नजर आ रहा है।
सूचना प्रवाह के इस दौर में सही और सटीक जानकारी अविलंब उपलब्ध करवाने से भी काफी हद तक भ्रामक सूचनाओं के प्रसार पर रोक लगाई जा सकती है। इसमें सरकारी विभागों सहित सभी हितधारकों को और तीव्रता से कार्य करने की आवश्यकता है।
वरिष्ठ पत्रकार दीपेंद्र मांटा ने कहा कि भ्रामक सूचना से सत्य और झूठ के बीच अंतर करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने हाल ही में चंबा जिला में आई आपदा के दौरान फैली भ्रामक सूचनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इससे नागरिक समाज के साथ ही शासन-प्रशासन को भी कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
उन्होंने ऐसे तत्वों से सख्ती से निपटने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि पेशेवर प्रतिस्पर्धा और ब्रेकिंग न्यूज की होड़ में तथ्यों की परख ही विश्वसनीयता कायम रख सकेगी।
संगोष्ठी में प्रेस क्लब की उपाध्यक्ष मोनिका ठाकुर, वरिष्ठ पत्रकार भगत सिंह गुलेरिया, खेमचंद शास्त्री, यशराज, धर्मचंद वर्मा, विनोद राणा, आशा ठाकुर, मुकेश ठाकुर, पुष्पराज, धर्मवीर, सोनिया शर्मा, सरोज, युगल, विप्लव, अजय सहगल व हरमीत सिंह बिट्टू ने भी अपने विचार रखे।
जिला लोक सम्पर्क अधिकारी हेमंत कुमार ने सभी का स्वागत किया और राष्ट्रीय प्रेस दिवस की पृष्ठभूमि व इस वर्ष के विषय पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी का संचालन सहायक लोक सम्पर्क अधिकारी विनोद ने किया। जिला लोक सम्पर्क विभाग के अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
What's Your Reaction?

