यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 02-09-2025
हिमाचल प्रदेश के इतिहास में चौथा सबसे लंबा 12 दिन का मॉनसून सत्र आज समाप्त हो गया। सत्र में अधिकतर समय प्रदेश की आपदा पर चर्चा हुई। सदन की कार्यवाही 59 घंटे तक चली। जिसकी उत्पादकता 98 फीसदी रही। सत्र में कुल 509 कुल तारांकित सवाल पूछे गए , जबकि अतारांकित 181 सवाल सदन में पूछे गए। कुल 690 सवाल पूछे गए। नियम 67 के तहत काम रोको प्रस्ताव के तहत आपदा पर लंबी चर्चा चली। सदन में सर्वसम्मति से आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया। सत्र के समापन पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि मॉनसून सत्र के दौरान नियम 130 के तहत 6 विषय चर्चाएं हुई। नियम 62 के तहत 12 विषय, नियम 101 के तहत 7, 63 के तहत 1 विषय पर चर्चा हुई और 102 के तहत राष्ट्रीय आपदा घोषित करने पर संकल्प लाया गया। जिसको केंद्र की भेजने का प्रस्ताव भेजा गया है। 11 सरकारी विधेयक पास किए गए।
एक विधेयक वापिस किया गया। 43 विषय सदन में शून्य काल के दौरान उठाए गए।विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि 33 घंटे तक आपदा पर ही चर्चा हुई।इस दौरान 1118 बच्चों ने सदन की कार्यवाही को देखा। सदन ने गलत जानकारी और उतर देने में देरी को संज्ञान लिया है और उचित दिशा निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने कहा कि हिमाचल में अगस्त माह में आपदाओं से भारी क्षति हुई है सदन में हिमाचल प्रदेश को आपदा ग्रस्त राज्य घोषित किया गया है और राष्ट्रीय आपदा के लिए प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा गया है ताकि विशेष राहत पैकेज प्रदेश को मिल सके। मुख्यमंत्री ने विपक्ष से भी विशेष राहत पैकेज दिलाने में मदद का आग्रह किया है और विपक्ष के नेतृत्व में सरकार विशेष राहत पैकेज के लिए जाने के लिए तैयार है।
प्रदेश में जिन लोगों के मकान टूट गए हैं उनको संशोधित आपदा राहत मैनुअल के मुताबिक 7 लाख रुपए दिए जाएंगे। सरकार संसाधनों को जुटाने में लगी है और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।इस दौरान सीएम सुक्खू ने कहा कि पंचायत चुनाव समय पर आयोजित किए जाएंगे इन्हें आगे टालने का कोई इरादा सरकार का नहीं है। विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर ने कहा कि आपदा के दौर से प्रदेश जूझ रहा है और इसको लेकर सदन में चर्चा हुई। आपदा राहत एवं बचाव कार्य में सरकार को जिस तरह से काम करना चाहिए था वह नहीं हुआ। सरकार के प्रबंधन में खामियां रही है। सदन में सरकार ने सही जानकारी नहीं दी। प्रश्नों का उत्तर देने में सरकार विफल रही है और जनहित के मुद्दों पर झूठे आंकड़े सरकार ने सदन में पेश किए।
तीन साल का सरकार का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है लेकिन तीन योजनाएं सरकार के पास गिनने के लिए नहीं है। भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं सरकार ने पार कर दी और नौकरियां पूरी तरह से खत्म कर दी गई है। हिमाचल ऑन सेल आज के समय में पर्यटन विकास निगम की संपत्तियों को बेचने का बड़ा उदाहरण है। संसाधन जुटाने के नाम पर सदन में जो आंकड़े सीएम सुक्खू ने पेश किए हैं वह झूठे हैं। स्वास्थ्य और शिक्षा न्यूनतम स्तर पर इस सरकार में चला गया है। आपदा के दृष्टिगत विपक्ष सरकार के साथ खड़ा है प्रदेश हित के लिए केंद्र से मदद मांगने को भी तैयार है।