यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 06-07-2025
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच व संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 9 जुलाई की मजदूरों किसानों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी ने समर्थन दिया है। यह निर्णय पार्टी शिमला जिला कमेटी में लिया गया। इस हड़ताल में मजदूरों की देश की प्रमुख दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन , कर्मचारियों की दर्जनों राष्ट्रीय फेडरेशनें व किसानों के अनेकों संगठन भाग ले रहे हैं।
शिमला में पार्टी कार्यालय में सम्पन्न हुई बैठक में पार्टी राज्य सचिव संजय चौहान, राकेश सिंघा, विजेंद्र मेहरा, जगत राम, फ़ालमा चौहान, देवकीनंद, कुलदीप डोगरा, राम सिंह, अजय दुलटा, प्रेम सिंह चौहान, जयशिव ठाकुर, संदीप वर्मा, विजय राजटा, राजीव चौहान, करतार चंद, रणजीत, रमन थारटा, सुनील मेहता, रमाकांत मिश्रा, हिमी देवी, विवेक कश्यप, अनिल ठाकुर, दिनित देंटा, सन्नी सिकटा, कमल शर्मा, मिलाप नेगी, रामप्रकाश, सुनील वशिष्ठ, मेहर सिंह पाल आदि शामिल हुए।
बैठक की जानकारी देते हुए पार्टी जिला सचिव विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा मजदूर विरोधी चार लेबर कोड के जरिए मजदूरों पर गुलामी थोपने व बंधुआ मजदूरी कायम करने के खिलाफ, 26 हजार न्यूनतम वेतन, योजना कर्मियों, आउटसोर्सिंग , ठेका प्रथा , मल्टी टास्क , टेंपरेरी , कैजुअल , ट्रेनी की जगह नियमित रोजगार देने, मनरेगा बजट में बढ़ोतरी, मनरेगा मजदूरों हेतु न्यूनतम वेतन लागू करने, श्रमिक कल्याण बोर्ड के आर्थिक लाभ सुनिश्चित करने, फसलों के समर्थन मूल्य, हिमाचली सेब पर मंडराते टैरिफ खतरे, बरसात की आपदा राहत, बढ़ते कृषि संकट, जमीन की बेदखली, तालाबंदी, बाड़बंदी, पनबिजली परियोजनाओं व फोरलेन निर्माण से प्रभावित किसानों, दूध के प्रश्न आदि मांगों पर हिमाचल प्रदेश के हजारों मजदूर किसान 9 जुलाई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान सड़कों पर उतरेंगे। पार्टी इस आंदोलन को समर्थन देगी।
उन्होंने कहा कि देश की मोदी सरकार कॉर्पोरेट सांप्रदायिक गठजोड़ के लिए कार्य कर रही है। अमीरों को छूट व गरीबों की लूट की जा रही है। देश में मजदूरों के कामकाज की।परिस्थितियां बदतर हुई हैं। किसानों की आत्महत्या में बढ़ोतरी हुई है। इस सबके बावजूद मोदी सरकार पूरी तरह अमीरों, उद्योगपतियों, कॉर्पोरेट कंपनियों के साथ खड़ी हो गई है व आम जनता की सुविधाएं छीन रही है। उन्होंने कहा कि मजदूर वर्ग पर चार लेबर कोड लागू होने से सत्तर प्रतिशत उद्योग व चौहतर प्रतिशत मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। हड़ताल करने पर मजदूरों को कड़ी सजाओं व जुर्माने का प्रावधान किया गया है। पक्के किस्म के रोजगार के बजाए ठेका प्रथा व फिक्स टर्म रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा। काम के घंटे आठ के बजाए बारह घंटे करने से बंधुआ मजदूरी स्थापित होगी।