यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 25-06-2025
शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा की व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार ने प्रदेश में एक अलग तरह का आपातकाल लगा रखा है। जिसकी वजह से प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश के राजधानी में स्थित आईजीएमसी कैंसर अस्पताल में महिलाओं को कैंसर की दवा नहीं मिल रही है। लोग दवाओं के लिए भटक रहे हैं। इतनी खतरनाक बीमारी के इलाज को लेकर भी सरकार गंभीर नहीं है। जिस तरीके से 1975 के आपातकाल में पूर्व प्रधानमंत्री ने देशवासियों से उनके मौलिक अधिकार छीन लिए थे उसी तरीके से आज सुक्खू सरकार ने भी प्रदेश के कैंसर ग्रस्त मरीजों से भी उनके इलाज का हक छीन रही है।
जिन्होंने सरकार पर भरोसा करके हिम केयर का बीमा करवाया था आज वह लाचार हैं क्योंकि सरकार ने उनके कार्ड ब्लॉक कर रखे हैं। सरकार का यह कृत्य अक्षम्य है। कैंसर की बीमारी में समय से इलाज न होने पर उसके क्या दुष्परिणाम होते हैं यह मुख्यमंत्री को समझना चाहिए। जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार घर तक दवा पहुंचाने की स्कीम लांच कर रही है लेकिन जो अस्पताल में भर्ती है, गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, डॉक्टर की रिकमेंडेशन पर भी उन्हें समय से दवाएं नहीं मिल रही हैं। इसलिए मुख्यमंत्री से आग्रह है कि पहले उन्हें तो दवाएं उपलब्ध करवा दें जो अस्पताल में दवाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि जब आईजीएमसी में कैंसर की दवाएं न मिलने पर मुख्यमंत्री से सवाल पूछा जाता है तो वह कह देते हैं कि मुझे नहीं पता है? यह मुख्यमंत्री का सतही बयान है।
उन्हें यह बात पता होनी चाहिए थी। सरकार झूठ बोलकर पीड़ितों पर आरोप मढ़ कर अपना पल्ला झाड़ने में अभ्यस्त है। इसलिए सरकार अपनी जवाबदेही से भाग रही है। अभी कुछ महीने पहले ही सरकार की नाकामी की वजह से बिलासपुर के एक व्यक्ति की मौत हुई थी। परिवार ने जब 3 महीने तक कैंसर की दवा उपलब्ध न करवाने की सच्चाई सामने लाई तो सरकार दवा क्यों नहीं उपलब्ध हो पाई इस पर ना तो कोई कार्रवाई करती है और ना ही कोई जांच। मामले की लीपापोती करने की कोशिश शुरू होती है और सरकार के नुमाइंदे उस बिटिया और पीड़ित परिवार को ही दोषी ठहराने में लग जाते हैं। सिस्टम ने बड़ी बेशर्मी से यह साबित करना चाहा कि परिवार दवा लेने ही नहीं आया।
जबकि सच्चाई यही थी कि 3 महीने तक दवा का इंतजार करते-करते मरीज की मृत्यु हो गई थी। इस बार भी सरकार इसी तरीके से मामले की लीपापोती करने वाली है। अगर दवा नहीं उपलब्ध है तो क्यों नहीं उपलब्ध है और इसके लिए कौन लोग जिम्मेदार हैं? इसकी जांच होनी चाहिए। जो जिम्मेदार हैं उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। अभी यह बात मुख्यमंत्री के संज्ञान में आ गई है तो मुख्यमंत्री आंखें मूंद कर बैठने की बजाय त्वरित कार्रवाई करें और अस्पताल में सभी जरूरी दवाएं उपलब्ध करवाने का काम करें। जिससे किसी भी मरीज का ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल प्रभावित न हो। हम मुख्यमंत्री को झूठ बोलकर किसी भी मुद्दे से पल्ला नहीं झाड़ने देंगे।