अफसरों की गाड़ियों व तारादेवी रेस्ट हाउस को अटैच करने का आदेश, जानिए पूरा मामला
कोर्ट के आदेश पर सरकार की ओर से अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा न देने पर जिला अदालत ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने 27 साल पुराने मामले

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 12-06-2025
कोर्ट के आदेश पर सरकार की ओर से अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा न देने पर जिला अदालत ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने 27 साल पुराने मामले में लोक निर्माण विभाग के सचिव (सचिवालय) और भू अर्जन अधिकारी (विंटर फील्ड शिमला) से जुड़ी सरकारी संपत्ति को अटैच करने के आदेश दिए हैं।
जिला न्यायाधीश (वन) अजय मेहता की अदालत ने 18 जून तक लोक निर्माण विभाग के तारादेवी स्थित रेस्ट हाउस समेत दोनों अधिकारियों के आधिकारिक पेन, पीडब्ल्यूडी मुख्यालय के दो वाहन, कंप्यूटर, सोफा सेट, टेबल-कुर्सियां और हीटर को अटैच करने के आदेश पारित किए।
अदालत ने स्पष्ट किया है कि निष्पादन याचिका 2020 से लंबित है, तब से प्रतिवादियों ने मुआवजा राशि जारी करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। रिपोर्ट के मुताबिक वारंट के निष्पादन के दौरान भू अर्जन अधिकारी और सचिव ने अदालती कार्यवाही में सहयोग नहीं किया है। इससे पहले अदालत तीन बार सरकारी संपत्ति अटैच करने के आदेश दे जारी कर चुकी है।
राज्य सरकार ने अदालत ने राशि जमा करवाने के लिए चार महीने का और समय मांगा है। यह मामला लोक निर्माण विभाग रोहड़ू मंडल का है। बैधार-थाना-टिक्कर रोड के निर्माण के लिए वर्ष 1998 में भूमि मालिकों से करीब 15 बीघा जमीन अधिग्रहित की गई थी।
भू अर्जन अधिकारी ने जमीन समेत उस पर लगे सेब के पौधों का मूल्य तय किया। इसके हिसाब से 6,252 रुपये प्रति पौधा देना मंजूर किया गया था। मुआवजे से असंतुष्ट भूमि मालिकों ने साल 2012 में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
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