प्रदेश के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल प्रबंधन खुद तय कर सकेंगे अल्ट्रासाउंड और ईसीजी के रेट
हिमाचल प्रदेश के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल प्रबंधन खुद अल्ट्रासाउंड और ईसीजी के रेट तय कर सकेंगे। प्रदेश सरकार ने संबंधित प्रिंसिपल और अस्पताल प्रबंधन को यह शक्तियां दी

-यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 07-04-2024
हिमाचल प्रदेश के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल प्रबंधन खुद अल्ट्रासाउंड और ईसीजी के रेट तय कर सकेंगे। प्रदेश सरकार ने संबंधित प्रिंसिपल और अस्पताल प्रबंधन को यह शक्तियां दी हैं। शुल्क तय करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को भी विश्वास में लेना होगा।
मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों के खर्च निकालने के लिए यह व्यवस्था की गई है। अस्पतालों में पहले यह सेवाएं निशुल्क थीं, लेकिन अब प्रशासन जरूरत के मुताबिक शुल्क तय कर सकेगा। प्रदेश सरकार ने इस बारे में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल प्रबंधन को यह आदेश जारी किए हैं।
हालांकि, अस्पतालों में यह स्वास्थ्य सेवाएं गरीब लोगों के लिए निशुल्क रहेंगी। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि सरकारी नौकरी में लगे लोग शुल्क दे सकते हैं। इन लोगों की प्रदेश सरकार की ओर से चिकित्सा बिलों का भुगतान किया जाता है।
पेंशनरों के लिए भी रिंबर्समेंट की सुविधा है। अस्पताल प्रबंधन बार-बार सरकार को तर्क दे रहे हैं कि अल्ट्रासाउंड और ईसीजी निशुल्क किए होने से खर्च निकालने मुश्किल हो रहे हैं। वर्तमान में हिमाचल में छह मेडिकल कॉलेज आईजीएमसी, टांडा, हमीरपुर, चंबा, नाहन और नेरचौक हैं।
इसके अलावा सैकड़ों आदर्श स्वास्थ्य संस्थान, सिविल अस्पताल, सामुदायिक और जोनल अस्पताल हैं। इन सभी अस्पतालों में मरीजों के अल्ट्रासाउंड और ईसीजी होते हैं। स्वास्थ्य सचिव एम सुधा ने बताया कि ईसीजी और अल्ट्रासाउंड के शुल्क लेने की शक्तियां अस्पताल प्रशासन को दी गई हैं। वह अपने स्तर पर शुल्क बढ़ा सकते हैं।
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