फरवरी तक शुरू करें एआरटी केन्द्र , नशे की सिरिंज से युवाओं में बढ़ एचआईवी के मामले : डीसी 

एड्स एक जानलेवा गंभीर बीमारी है जिसकी रोकथाम नितांत जरूरी है। यह बात उपायुक्त सुमित खिमटा ने जिला एड्स नियंत्रण समिति तथा क्षयरोग उन्मूलन कार्यक्रम समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल नाहन में फरवरी माह के अंत तक एआरटी सेंटर स्थापित होने जा रहा है जहां एड्स के मरीजों का उपचार होगा और उन्हें निःशुल्क दवाईंया मिल सकेंगी

Dec 22, 2023 - 19:10
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फरवरी तक शुरू करें एआरटी केन्द्र , नशे की सिरिंज से युवाओं में बढ़ एचआईवी के मामले : डीसी 
यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन  22-12-2023
एड्स एक जानलेवा गंभीर बीमारी है जिसकी रोकथाम नितांत जरूरी है। यह बात उपायुक्त सुमित खिमटा ने जिला एड्स नियंत्रण समिति तथा क्षयरोग उन्मूलन कार्यक्रम समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल नाहन में फरवरी माह के अंत तक एआरटी सेंटर स्थापित होने जा रहा है जहां एड्स के मरीजों का उपचार होगा और उन्हें निःशुल्क दवाईंया मिल सकेंगी। एड्स के मरीजों को दवा व उपचार के लिये दूसरे जिलों अथवा राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा। जिला में एचआईवी पॉजीटिव के लगभग 71 मामले हैं और इनकी जानकारी को गुप्त रखा जाता है। सुमित खिमटा ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग तथा अन्य लाइन विभागों को एचआईवी के बारे में निचले स्तर पर लोगों को जानकारी देने के लिये आई.ई.सी. तंत्र को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। 
उन्होंने कहा कि संवेदनशील जगहों पर रोग की जानकारी व रोकथाम से संबंधित होर्डिंग लगाए जाने चाहिए। ट्रक यूनियनों, स्कूलों, औद्योगिक संस्थानों में रोग के बारे व्यापक जानकारी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। एचआईवी संक्रमण, उपचार व रोकथाम के बारे में चर्चा करते हुए जिला एड्स नियंत्रण अधिकारी ने जानकारी सांझा करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के पांचवें चरण में हैं। उन्होंने कहा कि एचआईवी एक प्रकार का वायरस है जो व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है। एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति 8 से 10 सालों में एड्स का मरीज बन जाता है जिसका कोई स्थाई उपचार नहीं है। 
ऐसे व्यक्ति को आजीवन दवा खानी पड़ती है। सबसे बेहतर नुस्खा असुरक्षित यौन संबंधों से बचना है। बिना कंडोम के सेक्स खतरे से खाली नहीं है, इस बात को हमेशा ध्यान में रखा जाना चाहिए। किसी दूसरे को प्रयोग की गई सुई का इस्तेमाल कभी नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिला संक्रमित है तो बच्चे का उपचार किया जाना चाहिए। जानकारी दी गई कि बाल चिकित्सा रोकथाम, देखभाल और उपचार कार्यक्रम का प्राथमिक लक्ष्य माता-पिता से बच्चे में संचरण की रोकथाम तथा एचआईवी से संक्रमित बचचों को उपचार और देखभाल प्रदान करना है। जिला सिरमौर में मां से बच्चे में संक्रमण का कोई भी मामला नहीं है। नाहन, पांवटा साहिब तथा राजगढ़ अस्पतालों में एचआईवी जांच की सुविधा उपलब्ध है। 
बैठक में अवगत करवाया गया कि एचआईवी पॉजीटिव लोगों का उपचार निःशुल्क किया जाता है तथा उन्हें अस्पताल आने व जाने का खर्च भी वहन सरकार द्वारा किया जाता है। यह भी स्पष्ट किया गया कि एचआईवी छूने से एक साथ खाना खाने से , हाथ मिलाने से व साथ रहने से संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलता। इसलिये समाज में एचआईवी बच्चे अथवा व्यक्ति को नकारात्मक नजर से नहीं देखा जाना चाहिए और न ही उसके साथ किसी प्रकार का भेदभाव किया जाना चाहिए। ऐसे व्यक्तियों के लिये मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने का भी प्रावधान है। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम समिति की एक अन्य बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त ने कहा कि दुनिया की लगभग एक चौथाई आबादी तपेदिक से संक्रमित है। 
हालांकि हिमाचल प्रदेश में तपेदिक रोग पर काफी सीमा तक अंकुश लगाने में हम कामयाब हुए है। समाज में अनेक लोग बीमारी से अज्ञात है और दूसरों को क्षयरोग फैलाने का काम करते हैं जिस कारण मरीजों की संख्या बढ़ने की हमेशा आशंका बनी रहती है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय पाठक ने बताया कि क्षयरोग एक जीवाणु संक्रमण है जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह बीमारी खांसने, छींकने और थूकने से हवा के जरिए फैलती है। संक्रमित व्यक्तियों में 10 प्रतिशत में ही सक्रिय तपेदिक रोग विकसित होता है। उन्होंने कहा कि तपेदिक रोग उपचारशील है और इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।

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