मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना से वित्तीय मदद प्राप्त कर मनीष ने लिखी सफलता की नई इबारत

प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत स्वरोजगार के लिए प्रदान की जा रही वित्तीय मदद अनाथ व बेसहारा बच्चों/व्यक्तियों को आत्मनिर्भरता की नई राह दिखा रही है। इस योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को स्वरोजगार शुरू करने के लिए दो लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता दी जाती है। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना 27 वर्ष आयु तक के अनाथ एवं बेसहारा लाभार्थियों को अभिभावक के रूप में प्रश्रय देती है

Oct 7, 2025 - 17:35
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मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना से वित्तीय मदद प्राप्त कर मनीष ने लिखी सफलता की नई इबारत
यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी   07-10-2025
प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत स्वरोजगार के लिए प्रदान की जा रही वित्तीय मदद अनाथ व बेसहारा बच्चों/व्यक्तियों को आत्मनिर्भरता की नई राह दिखा रही है। इस योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को स्वरोजगार शुरू करने के लिए दो लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता दी जाती है। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना 27 वर्ष आयु तक के अनाथ एवं बेसहारा लाभार्थियों को अभिभावक के रूप में प्रश्रय देती है। साथ ही उनकी शिक्षा-दीक्षा से लेकर वित्तीय मदद प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित भी करती है। इसी योजना से प्रेरणादायक उदाहरण बनकर उभरे हैं गांव धरलोग, पंचायत कटौला के मनीष कुमार।
 मनीष के जीवन में कई कठिनाइयां थी , लेकिन सरकार की मदद से उन्होंने न केवल अपनी मुश्किलों से पार पाया, बल्कि स्वरोजगार की दिशा में सफल कदम भी बढ़ाए हैं। मनीष कुमार के माता-पिता का निधन तब हो गया था जब वे मात्र चार साल के थे। उनका पालन-पोषण उनके दादा-दादी ने किया। बारहवीं तक की शिक्षा पूरी करने के बाद मनीष ने अपनी लगभग आठ बीघा भूमि पर पारम्परिक खेती शुरू की। सीमित संसाधनों और पारंपरिक खेती के चलते उनकी आय बहुत कम थी। जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था, लेकिन उन्हें आशा की नई किरण दिखाई मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना ने। करीब डेढ़-दो वर्ष पूर्व उन्हें इस योजना की जानकारी मिली। मनीष ने योजना के तहत स्वरोजगार के लिए वित्तीय मदद हेतु आवेदन किया। उन्हें दो लाख रुपए की सहायता राशि प्राप्त हुई। इससे उन्होंने कृषि उपकरण पावर टिलर, टुल्लू पंप, ग्रास कटर, स्प्रे पंप इत्यादि खरीदे और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गोभी और टमाटर की खेती शुरू की। 
मनीष ने अब पारंपरिक खेती छोड़कर कृषि में नवीनतम तकनीकों और प्राकृतिक खेती को अपनाया। यह निर्णय उनके लिए न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित हुआ, बल्कि उनका जीवन भी पूरी तरह से बदल गया। आज मनीष सालाना खर्च निकालकर लगभग दो लाख रुपए की शुद्ध आय अर्जित कर रहे हैं, जो उनके आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मनीष कुमार ने अपनी सफलता का श्रेय प्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को दिया है। उनका कहना है कि सुख-आश्रय योजना ने वास्तव में उन्हें एहसास दिलाया कि सरकार ही माता है, सरकार ही पिता है। इस योजना ने मुझे आत्मनिर्भर बनने की दिशा एवं संबल प्रदान किया है। इसके लिए मैं मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जी का तहेदिल से धन्यवाद करता हूं। मनीष का यह जज्बा उन सभी के लिए प्रेरणा है, जिन्होंने जीवन में मुश्किलों का सामना किया और अब सरकार की मदद से वे आत्मनिर्भर बनने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। 
मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत स्वरोजगार के लिए वित्तीय मदद से न केवल मनीष कुमार जैसे “चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट” का हौसला बढ़ा है, बल्कि उन्हें अपनी मेहनत और साहस से सफलता पाने का एक सुअवसर भी मिला है। सुक्खू सरकार की यह संवेदनशील योजना अनेकों अनाथ व बेसहारा बच्चों के लिए एक नया सवेरा, एक नया जीवन लेकर आई है। आज, मनीष जैसे प्रेरक युवा यह साबित कर रहे हैं कि कठिनाइयों से जूझने के बाद भी आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाए जा सकते हैं। इस योजना के माध्यम से न केवल उनका व्यक्तित्व विकास हो रहा है, अपितु समाज में आर्थिक समृद्धि और स्वावलंबन की दिशा में भी यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।

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