साइंटिस्ट डॉ बाबूराम शर्मा सिरमौर रत्न से सम्मनित,माता-पिता को बेटे की उपलब्धियों पर गर्व 

इतिहास में पहली बार जिला सिरमौर के लाधी क्षेत्र के गताधार में 111 रत्नों को सम्मानित किया गया, बीएस एन फाउन्डेशन ने जिला सिरमौर से देश और दुनिया भर में विभिन्न क्षेत्र में बड़ा नाम कमाने वाले रत्नों को नवाजा गया। ग्रामपंचायत द्राबिल के छोटे से गांव से सम्बन्ध रखने वाले डॉ बाबूराम शर्मा को विश्व प्रसिद्ध रेसलर के द्वारा सिरमौर रत्न से नवाजा

Nov 24, 2024 - 12:17
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साइंटिस्ट डॉ बाबूराम शर्मा सिरमौर रत्न से सम्मनित,माता-पिता को बेटे की उपलब्धियों पर गर्व 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिलाई    24-11-2024

इतिहास में पहली बार जिला सिरमौर के लाधी क्षेत्र के गताधार में 111 रत्नों को सम्मानित किया गया, बीएस एन फाउन्डेशन ने जिला सिरमौर से देश और दुनिया भर में विभिन्न क्षेत्र में बड़ा नाम कमाने वाले रत्नों को नवाजा गया। ग्रामपंचायत द्राबिल के छोटे से गांव से सम्बन्ध रखने वाले डॉ बाबूराम शर्मा को विश्व प्रसिद्ध रेसलर के द्वारा सिरमौर रत्न से नवाजा गया। जिसको डॉ बाबूराम शर्मा के पिता अमर सिंह शास्त्री ने प्राप्त किया। 

बाबूराम शर्मा का जन्म 1982 में दुर्गम क्षेत्र शिलाई के छोटे से गांव हकाइना में एक सामान्य परिवार में हुआ, पिता अमर सिंह शिक्षा विभाग में शास्त्री और माता धर्मी देवी एक गृहणी है। बाबूराम शर्मा नेअपनी प्रारंभिक शिक्षा  हाई स्कूल द्राबिल, बाहरवीं तक माध्यमिक शिक्षा बॉयज सेकेंडरी स्कूल पौंटा साहिब तारूवाला में पढ़े। बचपन से ही तेज तर्रार बाबूराम शर्मा ने बी.एस.सी. (नॉन-मेडिकल) गवर्नमेंट कॉलेज नाहन से अपनी कॉलगेकी पढाई पूरी की। 

माता पिता ने बाबूराम का हुनर देखते हुए भौतिक विज्ञान में मास्टर डिग्री के लिए गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर भेज दिया, डिग्री पूरी करने के बाद गेट-परीक्षा उत्तीर्ण कर भारत के शीर्ष संस्थान, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) से मैटेरियल्स साइंस में पीएचडी की पढाई पूरी की, कड़ी मेहनत और लगन से उनहें यूएसए जाकर शोध करने का अवसर मिला। 

कठिन परिस्थतियों वाले क्षेत्र के यूवाओं के प्रेरणा स्त्रोत बाबूराम शर्मा वर्तमान में  दक्षिण कोरिया के उल्सान के इंस्टीट्यूट ऑफ बेसिक साइंस (IBS) में बहुआयामी कार्बन सामग्री केंद्र में एक वरिष्ठ शोधकर्ता के रूप में काम कर रहे है, इस वर्ष अप्रैल माह में, 15 वैज्ञानिकों के शोध समूह ने "हीरे" पर एक शोध कार्य प्रकाशित किया। जिसमें महज 15 मिनट में हीरा बनाने की पद्धति विकसित करने वाले दुनिया के पहले समूह हैं। 

अब तक, वैज्ञानिक सामान्य वायुमंडलीय दबाव की तुलना में 50,000 गुना अधिक दबाव पर हीरे को विकसित करते थे जिसमें 2-4 सप्ताह लगते थे, हीरे का कुछ उपयोग कुछ मात्रा में आभूषणों के लिए किया जाता है, जबकि हीरे का  ज्यादातर उपयोग मैकेनिकल उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और सुपर कंप्यूटर में होता है।

डॉ बाबूराम शर्मा को सिरमौर रत्न से नवाजे जाने पर शस्त्री पड़ से सेवानिवृत अमर सिंह और माता धर्मी देवी व् पुरे परिवार सहित क्षेत्र के लोग गर्व प्रफुल्लित है, तथा वह यूवाओं के लिए डॉ बाबूराम शर्मा एक आइकन बन चुके है, संघर्ष भरे जीवन में माता-पिता, परिवार के सदस्यों और शिक्षकों का उन्हें पूर्ण सहयोग मिला।

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