ऊझी घाटी के पतलीकूहल में अब नए स्वरूप में नजर आएगा इंडो-नॉर्वे ट्राउट फिश फार्म
ऊझी घाटी के पतलीकूहल में इंडो-नॉर्वे ट्राउट फिश फार्म अब नए स्वरूप में नजर आएगा। 50 लाख से जापानी तकनीक से ट्राउट फिश फार्म का कायाकल्प होने जा रहा
यंगवार्ता न्यूज़ - कुल्लू 10-11-2023
ऊझी घाटी के पतलीकूहल में इंडो-नॉर्वे ट्राउट फिश फार्म अब नए स्वरूप में नजर आएगा। 50 लाख से जापानी तकनीक से ट्राउट फिश फार्म का कायाकल्प होने जा रहा है। फिल्टर तकनीक से फार्म में मछली का उत्पादन भी चार गुना बढ़ जाएगा। इसे मछलियों में बीमारी भी नहीं होगी।
पतलीकूहल ट्राउट फार्म से देश के कई बड़े होटलों के लिए मछली की सप्लाई होती है। जापान की रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम से फार्म में मछली पालन के लिए बनाए टैंक के पानी को रिसाइकल तथा फिल्टर कर दोबारा मछली उत्पादन के इस्तेमाल में लाया जाएगा।
इस तकनीक से कम पानी तथा कम जगह में चार गुना उत्पादन होगा। खास बात है कि ब्यास किनारे बना पतलीकूहल का ट्राउट फिश फार्म ब्यास नदी की बाढ़ के दूषित पानी में मछली का उत्पादन जारी रहेगा। इस प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं।
साल भर से बन रहा यह प्रोजेक्ट मार्च 24 तक तैयार हो जाएगा। विभाग के उपनिदेशक खेम सिंह ठाकुर ने बताया कि इस जापानी तकनीक से मछली उत्पादन में क्रांति आएगी।
1988 से 1991 के बीच नार्वे और भारत ने मिलकर पतलीकूहल में डेनमार्क से लाई ब्राउन ट्राउट और रेनबो ट्राउट का बीज लाकर व्यवसायिक तौर पर उत्पादन शुरू किया। यहां सालाना 15 से 20 टन ट्राउट का उत्पादन होता है। मछली का विपणन कर सरकारी के खजाने को सालाना करीब दो करोड़ रुपये जुटाए जा रहे हैं।
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