कचरे से संसाधन तक की यात्रा - रिकांगपिओ में स्वच्छता का एक नया अध्याय

समूचे प्रदेश सहित जनजातीय जिलों को स्वच्छ व कचरा प्रबन्धन में देश का अग्रणी राज्य बनाने के हिमाचल सरकार के दृढ़ संकल्प और कर्त्तव्यनिष्ठा की पराकाष्ठा को जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा धरातल पर प्रदर्शित किया गया

Sep 3, 2025 - 13:08
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कचरे से संसाधन तक की यात्रा - रिकांगपिओ में स्वच्छता का एक नया अध्याय

स्वच्छता के क्षेत्र में जनजातीय जिला किन्नौर के साडा रिकांग पिओ की उल्लेखनीय पहल

यंगवार्ता न्यूज़ - रिकांग पिओ    03-09-2025

समूचे प्रदेश सहित जनजातीय जिलों को स्वच्छ व कचरा प्रबन्धन में देश का अग्रणी राज्य बनाने के हिमाचल सरकार के दृढ़ संकल्प और कर्त्तव्यनिष्ठा की पराकाष्ठा को जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा धरातल पर प्रदर्शित किया गया है। कचरे को संसाधन में परिवर्तित करने की पहल के तहत जनजातीय जिला किन्नौर के मुख्यालय रिकांगपिओ में विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) द्वारा स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर किए गए कार्यों से जिला किन्नौर प्रदेश व देश का स्वच्छ जिला बनने की दिशा में दृढ़ता व कर्तव्य निष्ठा के साथ अग्रसर हुआ है।

नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, हिमाचल प्रदेश सरकार के अधीन कार्यरत यह संस्था न केवल क्षेत्र की विकास योजनाओं को आगे बढ़ा रही है, बल्कि शहरी स्थानीय निकाय (यू.एल.बी) की अनुपस्थिति में स्वच्छता और कचरा प्रबंधन की ज़िम्मेदारी भी सफलतापूर्वक निभा रही है।

सदस्य सचिव, स्थानीय क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) एवं उपमंडलाधिकारी कल्पा अमित कलथाईक ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार की स्वच्छ हिमाचल-स्वच्छ राष्ट्र की सोच को साकार करने के दृष्टिगत जनजातीय जिला किन्नौर को देश व प्रदेश का स्वच्छ जिला बनाने की दिशा में जिला प्रशासन द्वारा साडा, हीलिंग हिमालायज़ व आम जनता के सतत सहयोग से किन्नौर जिला को स्वच्छ व सुंदर बनाए रखने का कार्य किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि साडा का कार्यक्षेत्र 19 उप-मोहल और 07 ग्राम पंचायतों तक फैला है, जिसमें लगभग 7,850 घर, सरकारी कार्यालय और व्यावसायिक प्रतिष्ठान आते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार यहाँ 12,997 स्थायी निवासी रहते हैं, जबकि 15-20 हज़ार प्रवासी मजदूर और कर्मचारी भी यहाँ अस्थायी तौर पर रहते हैं जिस कारण कचरा उत्पादन में इज़ाफा होता है।

अमित कलथाईक ने बताया कि साडा द्वारा प्रतिदिन 1 से 1.5 टन कचरे का सफल प्रबंधन किया जा रहा है। जिला के रिकांगपिओ में 80-90 प्रतिशत कचरे का संग्रह डोर-टू-डोर प्रणाली से किया जा रहा है। इसके अलावा कचरे के पृथक्करण को लेकर हीलिंग हिमालयाज़ फाउंडेशन और अन्य स्वयंसेवी संगठन सक्रिय सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि ढके हुए वाहनों के माध्यम से कचरे का सुरक्षित परिवहन किया जाता है, जिसमें 3 पिकअप और 1 डंपर का उपयोग होता है। इस पहल में स्थानीय स्वयंसेवकों की भागीदारी से जहां कचरा संग्रहण की गुणवत्ता बढ़ी है, वहीं लोगों में कचरा प्रबंधन के लिए जागरूकता का स्तर भी ऊँचा हुआ है।

स्थानीय क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) ने जिला के पोवारी में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र और सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधा स्थापित किया है। यहाँ प्रतिदिन आने वाले कचरे की छंटाई कर पुनर्चक्रण योग्य अंश अलग किए जाते हैं। अप्रैल, 2025 से अगस्त, 2025 तक की अवधि में कुल 25.95 टन कचरा प्लांट तक पहुँचा, जिसमें काँच, गत्ता, कपड़ा, प्लास्टिक और धातु प्रमुख हिस्से रहे।

इनमें से 23.91 टन कचरे का प्रसंस्करण किया गया और 17.71 टन पुनर्चक्रण योग्य सामग्री को सफलतापूर्वक बाज़ार में बेचा गया। गत्ता, काँच, प्लास्टिक, धातु और कपड़े जैसी वस्तुओं की बिक्री से न केवल पर्यावरण का बोझ कम हुआ, बल्कि राजस्व भी उत्पन्न हुआ। यह दर्शाता है कि एमआरएफ न केवल स्वच्छता बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी कारगर सिद्ध हो रहा है।

पोवारी में प्रतिदिन 80-100 किलो प्लास्टिक एकत्र और संग्रहीत किया जाता है ताकि उसे पुनर्चक्रित किया जा सके। इसके अलावा, संस्था ने ई-कचरा प्रबंधन की दिशा में भी अहम कदम उठाया है और इसके लिए एक अलग केंद्र स्थापित किया गया है। यह पहल आधुनिक अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण व अनुकरणीय प्रयास है।

अविक्रय कचरे की श्रेणी में आने वाले थर्माकोल और कम मूल्य वाले प्लास्टिक की बिक्री संभव नहीं हो पाती है जिसके समाधान के लिए साडा ने नगर निगम शिमला को औपचारिक प्रस्ताव भेजा है कि इस अपुनर्चक्रणीय कचरे का निपटान शिमला के भरियाल (टूटू) स्थित वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट में सुनिश्चित किया जाए। इसके लिए 500 रुपये प्रति टन की दर तय की गई है। यह कदम स्थायी निपटान व्यवस्था की दिशा में एक सराहनीय पहल है।

कचरे से संसाधन की यात्रा पर जिलाधीश किन्नौर डॉ. अमित कुमार शर्मा का कहना है कि हालांकि यह प्रयास सराहनीय है, परंतु रिकांगपिओ में शहरी स्थानीय निकाय (यू.एल.बी) की अनुपस्थिति प्रशासनिक और परिचालन स्तर पर कठिनाइयाँ भी उत्पन्न करती हैं जिसके स्थाई समाधान के लिए योजना तैयार की जा रही है। 

उन्होंने बताया कि रिकांग पिओ के चिन्हित स्थानों पर सी.सी.टी.वी कैमरा लगाए गए हैं जिससे कचरा प्रबंधन को संबल प्रदान हुआ है। उपायुक्त ने बताया कि पंचायतों द्वारा अनियोजित कचरा शेड बनाए जाने, मिश्रित कचरे और आवारा पशुओं की समस्या, पुराने डंपिंग स्थानों का पुनः उभरना व सिंगल-यूज़ प्लास्टिक खरीद-नीति के अभाव जैसी चुनौतियों से दृढ़ता के साथ निपटा जा रहा है तथा शीघ्र ही एक उपयोगी नीति बना कर इसका स्थाई समाधान सुनिश्चित किया जाएगा।

किन्नौर में कचरे से संसाधन की यात्रा का निष्कर्ष निकाला जाए तो पोवारी स्थित सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधा का स्थापन और साडा की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पहल ने यह साबित किया है कि यदि स्थानीय स्तर पर इच्छाशक्ति और संगठनात्मक सहयोग प्राप्त हो तो स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को जमीनी स्तर पर साकार किया जा सकता है। जिला में अब तक 23.91 टन कचरे का प्रसंस्करण और 17.71 टन पुनर्चक्रण योग्य वस्तुओं को बाज़ार तक पहुँचाना अपने आप में विशेष उपलब्धि है।

भौगोलिक दृष्टि से संवेदनशील और दूरस्थ स्थान जनजातीय जिला किन्नौर में यह कार्य न केवल कचरे के बोझ को कम कर रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, संवर्धन, संसाधन पुनर्प्राप्ति और सतत विकास की राह में भी अग्रसर हो रहा है। चुनौतियाँ अवश्य हैं, परंतु स्थानीय क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) रिकांगपिओ के प्रयास हिमाचल प्रदेश को स्वच्छ और हरित राज्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं।

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