प्रदेश सरकार ने लिया फैसला,इको फ्रेंडली कैरी बैग विकल्पों पर लगाया प्रतिबंध

हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक आश्चर्यजनक कदम कदम उठाते हुए 80 जीएसएम नॉन-वोवन पॉलीप्रोपाइलीन बैग के उपयोग की अनुमति दी है। जबकि इको-फ्रेंडली कंपोस्टेबल बैग पर प्रतिबंध लगा

Feb 9, 2025 - 13:35
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प्रदेश सरकार ने लिया फैसला,इको फ्रेंडली कैरी बैग विकल्पों पर लगाया प्रतिबंध

80 जीएम नॉन वोवन पॉलीप्रोपाइलीन बैग को दी अनुमति,

यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन     09-02-2025

हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक आश्चर्यजनक कदम कदम उठाते हुए 80 जीएसएम नॉन-वोवन पॉलीप्रोपाइलीन बैग के उपयोग की अनुमति दी है। जबकि इको-फ्रेंडली कंपोस्टेबल बैग पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह फैसला नोटिफिकेशन STE-F(4)-1/2019 दिनांक 21 जनवरी 2025 में उल्लिखित है। जिसमें कहा गया है कि कंपोस्टेबल बैग 35 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर नहीं टूटते हैं। 

हालांकि यह तर्क प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के विरुद्ध है जो कंपोस्टेबल प्लास्टिक को जैविक प्रक्रियाओं के माध्यम से पानी, कार्बन बायोमास और अन्य ज्ञात कंपोस्टेबल सामग्रियों में टूटने वाले पदार्थ के रूप में परिभाषित करते हैं। इसके अलावा, नॉन-वोवन पॉलीप्रोपाइलीन बैग, जिसको अब अनुमति दी गई है। पहले से ही एचपी नॉन-बायोडिग्रेडेबल एक्ट 2005 के तहत प्रतिबंधित हैं। 

यह कदम पर्यावरणविदों और निर्माताओं के बीच चिंता पैदा करता है। जो बताते हैं कि पीबीएटी और स्टार्च से बने कंपोस्टेबल प्लास्टिक पूरी तरह से किसी भी वातावरण में टूट जाते हैं। जैसा कि डीआरडीओ और सीआईपीईटी जैसे संस्थानों द्वारा प्रमाणित किया गया है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पहले राज्य पर्यावरण विभाग को नॉन-वोवन बैग पर प्रतिबंध लगाने और कंपोस्टेबल बैग जैसे टिकाऊ विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए लिखा था। 

इसके बावजूद, बाजार में 20 जीएसएम से कम के निम्न-गुणवत्ता वाले नॉन-वोवन बैग इस्तेमाल किया जा रहे हैं। जिनका दीर्घकालिक पर्यावरण पर खराब प्रभाव पड़ता है। यहां दिलचस्प बात ये है कि हिमाचल प्रदेश की तुलना में ठंडे जलवायु वाले यूरोपीय देश पहले से ही 100% कंपोस्टेबल सामग्री का उपयोग कर रहे हैं। 

राज्य में वर्तमान में तीन इकाइयों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रमाणित कंपोस्टेबल उत्पादन के लिए अनुमोदित किया गया है और 15 से अधिक स्टार्टअप ने राज्य में कारखाने स्थापित करने के लिए मशीनरी का ऑर्डर दिया है। सरकार के इस फैसले ने हिमाचल प्रदेश में टिकाऊ प्रथाओं के भविष्य के बारे में बहस छेड़ दी है। क्या यह कदम पर्यावरणीय सुरक्षित रखने में बढ़ावा देगा या यह कदम हमें  पीछे की ओर धकेल देगा ये तो केवल समय ही बताएगा।

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