हिमाचल में 'एचपी शिवा' की बहार: सरकाघाट के गध्यानी क्लस्टर ने लिखी सफलता की नई गाथा
हिमाचल प्रदेश में बागवानी अब केवल मात्र खेती कार्य तक सीमित नहीं, बल्कि ग्रामीण समृद्धि और आर्थिक विकास का सशक्त माध्यम बन गई है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार बागवानी क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सशक्त प्रयास कर रही
परियोजना के तहत किसान अमरूद की खेती से कमा रहे लाखों की आय
मुख्यमंत्री सुक्खू की पहल, वर्ष 2025-26 के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान
यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी 09-11-2025
हिमाचल प्रदेश में बागवानी अब केवल मात्र खेती कार्य तक सीमित नहीं, बल्कि ग्रामीण समृद्धि और आर्थिक विकास का सशक्त माध्यम बन गई है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार बागवानी क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सशक्त प्रयास कर रही है।
जिसके सुपरिणाम अब धरातल पर नजर आने लगे हैं। सरकार की महत्वाकांक्षी 'एचपी शिवा' (हिमाचल प्रदेश उपोष्णकटिबंधीय बागवानी, सिंचाई एवं मूल्यवर्द्धन) परियोजना इसमें सहायक बनी है, जिसके तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान 100 करोड़ रुपये व्यय करने का प्रावधान किया गया है।
मंडी जिले के सरकाघाट उपमंडल का गध्यानी क्लस्टर आज एचपी शिवा परियोजना की सफलता का उत्कृष्ट उदाहरण बन कर उभरा है। यह क्लस्टर बागवानी के जरिए किसानों की तकदीर बदलने की कहानी बयां कर रहा है। वर्तमान में, लगभग 1.2 हैक्टेयर भूमि पर स्थापित इस बगीचे में उन्नत किस्म के अमरूद की फसल लहलहा रही है।
यहां अमरूद की 'स्वेता' और 'ललित' प्रजाति के लगभग 1200 पौधे तीन वर्ष पूर्व रोपित किए गए थे। क्लस्टर से जुड़े 7 लाभार्थी किसान अब अपनी उपज को बाजार भेजने की तैयारी में हैं।
परियोजना से जुड़े किसान अपनी आय में हुई वृद्धि से बेहद उत्साहित हैं। लाभार्थी हेम राज ने बताया कि पिछले वर्ष उन्होंने लगभग 60 से 70 हजार रुपये कमाए, लेकिन इस वर्ष बाजार में अमरूद की कीमत 65 से 70 रुपये प्रति किलो है। उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनकी आमदनी लगभग एक से डेढ़ लाख रुपये तक हो जाएगी।
एक अन्य लाभार्थी मनोहर लाल के अनुसार, अमरूद की यह प्रजाति बहुत ही उम्दा और मीठी है, जिससे उन्हें बाजार में अच्छे दाम मिलने का पूरा भरोसा है। लोग बागीचे में आकर ही अमरूद खरीद रहे हैं।
लाभार्थी किसान मीरा देवी कहती हैं कि पहले वे पारम्परिक खेती से जुड़ी थीं। वे जो भी फसल उगाते थे, उसमें अधिक लाभ नहीं होता था। साथ ही जंगली जानवरों व बंदर फसल को नुकसान पहुँचाते थे, परन्तु परियोजना के तहत सोलर बाड़बन्दी से फसल नुकसान की समस्या भी हल हुई है। साथ ही उन्नत किस्म के पौधे अच्छी पैदावार दे रहे हैं।
एचपी शिवा परियोजना विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश के उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों जैसे बिलासपुर, मण्डी, हमीरपुर, ऊना, सोलन व सिरमौर के लिए चलाई जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य रोजगार के अवसर सृजित करना, किसानों की आय बढ़ाना, हिमाचल को फल राज्य के रूप में विकसित करना, और बंजर पड़ी भूमि का जीर्णोद्धार करना है।
परियोजना के तहत अमरूद, मौसम्बी, माल्टा, संतरा और लीची जैसे फलदार पौधों के बगीचे स्थापित किए जा रहे हैं। यह परियोजना हिमाचल के उपोष्णकटिबंधीय बागवानी को एक नई दिशा दे रही है, जिससे किसानों की आय दोगुनी करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य साकार हो रहा है।
विषयवाद विशेषज्ञ सरकाघाट डॉ. अनिल ठाकुर ने बताया कि शिवा परियोजना के अंतर्गत गोपालपुर क्षेत्र में अब तक 10 प्रथम पंक्ति प्रदर्शन उद्यान स्थापित किए जा चुके हैं, जबकि 13 क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं। इनमें से कुछ क्लस्टरों में इस वर्ष पौधरोपण पूरा कर लिया गया है, जबकि शेष में कार्य इसी वित्तीय वर्ष में किया जाएगा।
इन क्लस्टरों में मौसम्बी, अमरूद और लीची की उन्नत खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। अब तक लगभग 50 हेक्टेयर भूमि को बागवानी के अंतर्गत लाया जा चुका है, जबकि 150 हेक्टेयर क्षेत्र को इसी वित्तीय वर्ष में शामिल करने का लक्ष्य है।
इन प्रयासों से गोपालपुर क्षेत्र के लगभग एक हजार किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। साथ ही, बागवानी विभाग किसानों को मार्केटिंग की सुविधाएं भी उपलब्ध करवा रहा है, ताकि उन्हें अपनी उपज के बेहतर दाम मिल सकें।
वहीं बागवानी विकास अधिकारी डॉ. विपिन कुमार ने बताया कि किसानों को निरंतर तकनीकी मार्गदर्शन देने के लिए विभाग द्वारा फैसिलिटेटर, क्लस्टर इंचार्ज और फील्ड ऑपरेटर भी तैनात किए गए हैं। भूमि विकास, बेड व पिट तैयार करने के साथ-साथ सोलर बाड़बंदी जैसी आवश्यक सुविधाएँ भी सुनिश्चित की गई हैं।
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