केंद्र सरकार से कम वित्तीय मदद आने की परिस्थितियां बनने के बीच अपने उपायों से आर्थिक प्रबंधन में जुटी सुक्खू सरकार
केंद्र सरकार से कम वित्तीय मदद आने की परिस्थितियां बनने के बीच सुक्खू सरकार अपने उपायों से आर्थिक प्रबंधन में जुटी है। राजस्व घाटा अनुदान के पिछले साल से आधा होने के चलते इस वित्त वर्ष के अंतिम महीनों में हिमाचल सरकार पर आर्थिक तंगहाली आएगी

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 13-05-2025
केंद्र सरकार से कम वित्तीय मदद आने की परिस्थितियां बनने के बीच सुक्खू सरकार अपने उपायों से आर्थिक प्रबंधन में जुटी है। राजस्व घाटा अनुदान के पिछले साल से आधा होने के चलते इस वित्त वर्ष के अंतिम महीनों में हिमाचल सरकार पर आर्थिक तंगहाली आएगी। इससे कर्मचारियों-पेंशनरों की तात्कालिक देनदारियां प्रभावित न हों, इसके लिए कवायद चल रही है।
विभागों में लंबित पड़े बजट का ब्याज वापस लाना भी इसी मुहिम का हिस्सा है। 15वें वित्तायोग ने आय और व्यय के बीच के अंतर की पूर्ति के लिए वर्ष 2021 से लेकर 2026 के बीच 37,199 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा अनुदान निर्धारित किया था। वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह ग्रांट 9,377 करोड़ रुपये मिली।
वर्ष 2023-24 में 8058 करोड़ जारी हुई। 2024-25 में यह 6258 करोड़ रुपये प्राप्त हुई। चालू वित्त वर्ष 2025-26 में 3257 करोड़ रुपये ही मिल रही है। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 10,338 करोड़ रुपये है। यानी इतना बजट कोष में नहीं होगा, जितना वांछित है। कर्ज सकल घरेलू उत्पाद का 3 फीसदी ही लिया जा सकता है।
सकल घरेलू उत्पाद 2,32,185 करोड़ रुपये है। इसका 3 फीसदी 6,965.65 करोड़ रुपये बनता है। यानी इतना ही कर्ज लेना मान्य होगा। बाकी 3373.04 कहां से आएंगे, इसके लिए ही उपाय किए जा रहे हैं। अगर यह अतिरिक्त बजट नहीं जुटाया तो कर्मचारियों और पेंशनरों की तात्कालिक देनदारियां चुकाना मुश्किल हो जाएंगी।
वर्तमान में अलग-अलग बैंकों में सरकारी विभागों के वर्ष 2010 से लेकर 2023 तक बिना व्यय किए 12,210 करोड़ रुपये पड़े हैं। यह राशि 32 से अधिक बैंकों में जमा है। यह विभिन्न योजनाओं से संबंधित है। यानी पैसा पड़ा है, मगर इसे सरकारी कोष में लाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है।
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