एचपीयू में छात्रों ने किया विधायक हरीश जनारथा का घेराव , एसएफआई और पुलिस के बीच झड़प , कई कार्यकर्ता घायल

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शनिवार को कार्यकारिणी परिषद की बैठक के दौरान माहौल गरमा गया। बैठक में भाग लेने पहुंचे शिमला शहरी विधायक हरीश जनारथा का एसएफआई कार्यकर्ताओं ने घेराव किया। इस दौरान एसएफआई के कार्यकर्ताओं ने गो बैक और मुर्दाबाद के नारे लगाए। इस दौरान कार्यकर्ताओं और मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों के बीच धक्का-मुक्की हुई।

Sep 28, 2025 - 15:58
Sep 28, 2025 - 16:39
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एचपीयू में छात्रों ने किया विधायक हरीश जनारथा का घेराव , एसएफआई और पुलिस के बीच झड़प , कई कार्यकर्ता घायल
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  28-09-2025

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शनिवार को कार्यकारिणी परिषद की बैठक के दौरान माहौल गरमा गया। बैठक में भाग लेने पहुंचे शिमला शहरी विधायक हरीश जनारथा का एसएफआई कार्यकर्ताओं ने घेराव किया। इस दौरान एसएफआई के कार्यकर्ताओं ने गो बैक और मुर्दाबाद के नारे लगाए। इस दौरान कार्यकर्ताओं और मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों के बीच धक्का-मुक्की हुई। हालात काबू करने के लिए पुलिस जवानों और क्यूआरटी ने बल प्रयोग भी किया, जिससे एसएफआई के कई कार्यकर्ता घायल भी हुए। 
इनमें एक छात्र को आंख के पास चोट आई। जवानों और कार्यकर्ताओं के बीच हुई इस धक्का-मुक्की में छात्राओं को भी घसीट कर किनारे किया गया। बल प्रयोग के समय महिला पुलिसकर्मियों की संख्या नाममात्र नजर आई। इस धक्का-मुक्की में विधायक को कुलपति कार्यालय तक निकालने को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। एसएफआई ने पुलिस पर छात्र-छात्राओं पर लाठियां बरसाने और घसीटने के आरोप लगाए। एसएफआई ने कहा कि पुलिस के साथ हुई झड़प और लाठियां बरसाने में उनके तीन कार्यकर्ताओं को चोटें आईं। एसएफआई कार्यकर्ताओं ने विधायक के पुलिस की सुरक्षा में चले जाने के बाद पुस्तकालय के बाहर मुख्य सडक़ पर बैठ कर प्रदर्शन किया। इसमें प्रदेश सरकार , विधायक , विवि प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। 
कार्यकर्ताओं ने पुलिस के कड़े पहरे के बीच धरना दिया। इससे वाहनों की आवाजाही कुछ समय के लिए बंद रही। कार्यकर्ताओं ने एससीए चुनाव बहाल करने और मनोनयन से डम्मी एससीए गठन की प्रक्रिया का विरोध किया। प्रदर्शन के दौरान एसएफआई के राज्य सह सचिव आशीष ने कहा कि 2013 के बाद से एससीए चुनाव पर लगे प्रतिबंध से विद्यार्थियों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है। छात्र राजनीति का स्वरूप बदला है। सरकारों ने जानबूझकर छात्रों के जनवादी अधिकार छात्र संघ चुनावों पर प्रतिबंध लगाया है।

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