आपातकाल के दौरान न केवल संविधान की हत्या की गई बल्कि न्यायपालिका को भी गुलाम बनाए रखने का था इरादा : पीएम 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि आपातकाल के दौरान न केवल संविधान की हत्या की गई बल्कि न्यायपालिका को भी गुलाम बनाए रखने का इरादा था। पीएम मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की

Jun 29, 2025 - 16:01
Jun 29, 2025 - 16:02
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आपातकाल के दौरान न केवल संविधान की हत्या की गई बल्कि न्यायपालिका को भी गुलाम बनाए रखने का था इरादा : पीएम 

न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली     28-06-2025

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि आपातकाल के दौरान न केवल संविधान की हत्या की गई बल्कि न्यायपालिका को भी गुलाम बनाए रखने का इरादा था। पीएम मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 123 वीं कड़ी में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आपातकाल बहुत बड़ा संकट था जिसका देश की जनता ने जन भागीदारी से सामना किया। 

उन्होंने कहा,“ देश पर आपातकाल थोपे जाने के 50 वर्ष कुछ दिन पहले ही पूरे हुए हैं। देशवासियों ने ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया है। हमें हमेशा उन सभी लोगों को याद करना चाहिए, जिन्होंने आपातकाल का डटकर मुकाबला किया था। इससे हमें अपने संविधान को सशक्त बनाए रखने के लिए निरंतर सजग रहने की प्रेरणा मिलती है।”

पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई और अटल बिहारी वाजपेई और पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम के वक्तव्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि आपातकाल के दौरान संविधान की हत्या की गयी। उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका को गुलाम बनाये रखने का इरादा था। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दौरान लोगों को बड़े पैमाने पर प्रताड़ित किया गया था। 

इसके ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिन्हें कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा,“ जॉर्ज फर्ना साहब को जंजीरों में बांधा गया था। अनेक लोगों को कठोर यातनाएं दी गईं। ‘मीसा’ के तहत किसी को भी ऐसे ही गिरफ्तार कर लिया जाता था। छात्रों को भी परेशान किया गया। अभिव्यक्ति की आजादी का भी गला घोंट दिया गया।”

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