क्यों है लोकसभा स्पीकर का पद ? आज तक कब और कौन जीतकर बना था अध्यक्ष

भाजपा नेता ओम बिरला आज यानी बुधवार को 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष बन गए। देश में तीसरी बार लोकसभा स्पीकर का चुनाव हुआ है। एनडीए की ओर से ओम बिरला और आईएनडीआईए की ओर से के सुरेश इस पद के उम्मीदवार थे। ओम बिरला ध्वनिमत से लोकसभा के स्पीकर चुने गए। आइये जानते हैं कि संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका कितनी अहम है, जिसके लिए आज चुनाव हुआ। लोकसभा अध्यक्ष सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए जिम्मेदार होता

Jun 26, 2024 - 19:44
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क्यों है लोकसभा स्पीकर का पद ? आज तक कब और कौन जीतकर बना था अध्यक्ष

न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्‍ली  26-06-2024

भाजपा नेता ओम बिरला आज यानी बुधवार को 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष बन गए। देश में तीसरी बार लोकसभा स्पीकर का चुनाव हुआ है। एनडीए की ओर से ओम बिरला और आईएनडीआईए की ओर से के सुरेश इस पद के उम्मीदवार थे। ओम बिरला ध्वनिमत से लोकसभा के स्पीकर चुने गए। आइये जानते हैं कि संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका कितनी अहम है, जिसके लिए आज चुनाव हुआ। लोकसभा अध्यक्ष सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए जिम्मेदार होता है। इसलिए ये पद काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। लोकसभा अध्यक्ष संसदीय बैठकों के लिए एजेंडा भी तय करता है। इसके अलावा स्थगन प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव जैसे प्रस्ताव लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति से ही लाए जाते हैं।

 

सदन में अनुशासन बनाए रखने की जिम्मेदारी भी लोकसभा अध्यक्ष की होती है। अगर कोई सदस्य सदन दुर्व्यवहार करता है तो लोकसभा अध्यक्ष उसे निलंबित कर सकता है। संविधान के 10 वें अनुच्छेद के तहत दल-बदल के मामले में लोकसभा अध्यक्ष सदस्यों को अयोग्य घोषित कर सकता है। अगर सदन के नियमों को लेकर किसी तरह का विवाद होता है तो लोकसभा अध्यक्ष नियमों की व्याख्या करता है और नियमों को लागू करता है । इस संबंध में अध्यक्ष के फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती है। सदन में सत्ता और विपक्ष दोनों पक्षों के सदस्य होते हैं। ऐसे में लोकसभा अध्यक्ष से अपेक्षा की जाती है कि वह तटस्थ रह कर सदन चलाए। पहले आम चुनाव के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जीवी मावलंकर को लोकसभा अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव किया, लेकिन सहमति नहीं बनी। कम्युनिस्ट आंदोलन के संस्थापक और कन्नूर से सांसद एके गोपालन ने शांताराम मोरे का नाम आगे बढ़ाया।

 

शांताराम मोरे पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया के संस्थापकों में से एक थे। उस समय भी इस बात पर चर्चा हुई थी कि डिप्टी स्पीकर विपक्ष का होना चाहिए। हालांकि, उस समय कहा गया था कि लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के बाद इस पर विचार किया जाएगा। मावलंकर 394 मतों से लोकसभा अध्यक्ष चुने गए जबकि 55 सांसदों ने उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया। जून 1975 में आपातकाल लागू होने के बाद पांचवी लोकसभा का कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ाया गया। इसके बाद 1976 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष के लिए कांग्रेस सांसद बीआर भगत के नाम का प्रस्ताव किया। हालांकि, कांग्रेस ओ के सदस्य और भावनगर से सांसद पीएम मेहता ने जनसंघ के सदस्य जगन्नाथ राव जोशी का नाम आगे बढ़ाया। चुनाव में भगत 344 मतों से लोकसभा अध्यक्ष चुने गए। वहीं, उनके विरोध में 58 मत पड़े।

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