यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 31-12-2025
हिमाचल प्रदेश का औद्योगिक क्षेत्र बद्दी प्रदूषण को लेकर फिर से रैड जोन में आ गया है। यहां का एक्यूआई का स्तर 300 को पार कर गया है, जबकि दो दिन पूर्व यहां पर एक्यूआई 300 से कम हो गया था। देश के अन्य महानगरों की तर्ज पर बद्दी में भी प्रदूषण का स्तर बार-बार रेड जोन में पहुंच रहा है। मंगलवार को बद्दी में एक्यूआई 312 रिकॉर्ड किया गया। इससे यहां पर लोगों को विशेषकर मरीजाें, बच्चों व बुजुर्गों को सांस लेने में परेशानी आ रही है। 29 दिसम्बर को यहां पर एक्यूआई 330 व 28 दिसम्बर को 273 रिकाॅर्ड किया गया था। इसके अलावा कालाअंब में भी प्रदूषण का स्तर बड़ गया है।
यहां पर एक्यूआई 217 रिकॉर्ड किया गया। जो खराब की स्थिति में आता है। दो दिन पूर्व तक यहां का एक्यूआई 200 से कम था, यानी माॅडरेट था। इसके अलावा पांवटा साहिब, बरोटीवाला व नालागढ़ में प्रदूषण का स्तर माॅडरेट पर बना हुआ है। इसी तरह पांवटा साहिब में 188 , बरोटीवाला में 133 तथा नालागढ़ में एक्यूआई 121 रिकाॅर्ड किया गया। इसके अलावा 4 शहरों परवाणू , ऊना , धर्मशाला व डमटाल की आबोहवा सैटिस्फैक्टरी है। परमाणु में एक्यूआई 63 , ऊना में 78 , डमटाल में 55 तथा धर्मशाला में 62 रिकॉर्ड किया गया। राहत वाली बात यह है कि राज्य के 3 शहरों में आबोहवा सेहत के लिए अच्छी है। इसमें शिमला, मनाली व सुंदरनगर शामिल है। शिमला में एक्यूआई 35, सुंदरनगर में 43 तथा मनाली में 43 रिकॉर्ड किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के राज्य के एकमात्र ऑनलाइन एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन के अनुसार बद्दी में पीएम 2.5 प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। दिन के दौरान पीएम 2.5 का स्तर 11 बजे करीब 411 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। इसी तरह पीएम 10 का स्तर भी 425 रिकॉर्ड किया गया।
राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों के अनुसार 24 घंटे के आधार पर पीएम का सुरक्षित स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तय है, ऐसे में बद्दी में दर्ज ये आंकड़े कई गुना अधिक हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक पर्यावरण अभियंता पवन चौहान ने बताया कि हाल ही में लोक निर्माण विभाग , एनएचएआई , शहरी विकास प्राधिकरण , उद्योग प्रबंधन और नगर निगम के अधिकारियों को पत्र लिखकर तत्काल निवारक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। सीपीसीबी द्वारा 30 दिसंबर को देश के 236 शहरों के लिए जारी वायु गुणवत्ता आंकड़ों से स्पष्ट है कि प्रदूषण की स्थिति अब भी व्यापक स्तर पर चिंताजनक बनी हुई है। देश के करीब 72 फीसदी शहर प्रदूषण की चपेट में हैं। देश का सबसे प्रदूषित शहर गाजियाबाद रहा, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 404 दर्ज किया गया और स्थिति गंभीर बनी रही। इसके बाद नोएडा (400) दूसरे और पंचकुला (399) तीसरे स्थान पर रहा। इसके अलावा बालासोर, अंगुल, मेरठ, भिवाड़ी, बारीपाड़ा और बद्दी भी देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल रहे। कुल मिलाकर देश के 14 शहरों में एक्यूआई 300 से ऊपर दर्ज किया गया।
उन्हें बेहद खराब श्रेणी में रखा गया है, जबकि सबसे साफ हवा दमोह में दर्ज की गई। विशेषज्ञों के अनुसार औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुआं, भारी और ओवरलोडेड वाहनों का उत्सर्जन, पेटकोक जैसे प्रदूषणकारी ईंधनों का उपयोग तथा कृषि अवशेषों को जलाना प्रदूषण को बढ़ाने वाली प्रमुख वजहें मानी जा रही हैं। इसके साथ ही लंबे समय से बारिश न होना हालात को और गंभीर बना रहा है, क्योंकि धूल और प्रदूषण कण वातावरण में ही फंसे रहते हैं और नीचे नहीं बैठ पाते। स्थिति को और बिगाडऩे में शहर और औद्योगिक क्षेत्रों की बदहाल सडक़ें भी अहम भूमिका निभा रही हैं। जगह-जगह टूटी सडक़ों, गड्ढों और अधूरे पैचवर्क के कारण भारी वाहनों से दिनभर धूल उड़ती रहती है, जो हवा में घुलकर पीएम 2.5 और पीएम10 के स्तर को लगातार बढ़ा रही है।