शिमला के चौड़ा मैदान में सातवें दिन भी वोकेशनल शिक्षकों का धरना जारी
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 10-11-2024
शिमला की सर्द भरी रातों के बावजूद भी वोकेशनल शिक्षकों के होंसले बुलंद है। निजी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाने और नीति निर्माण की मांग को लेकर शिमला के चौड़ा मैदान में शिक्षक सातवें दिन भी धरने पर डटे रहे। यहां तक कि मजबूरी में महिला शिक्षक अपने छोटे बच्चों के साथ धरने पर बैठी हैं।
11 वर्षों से सेवाएं दे रही इन महिला शिक्षिकाओं की धरने दौरान अपनों की याद और परिवार की जिम्मेदारियां ने आंखे नम कर दी और आंखों से आंसू झलक पड़े।आज शिक्षकों द्वारा उस शिक्षक की याद में दो मिनट का मौन भी रखा गया जो ।इस लड़ाई में शामिल था और उसके 17 दिन के बच्चे ने PGI में दम तौड़ दिया।
शिक्षकों ने साफ तौर पर सरकार को चेतावनी दे दी है कि उनका यह धरना उस समय तक जारी रहेगा जब तक उन्हें लिखित में कोई आदेश नही मिलता अन्यथा यह धरना जारी रहेगा। हालांकि शिक्षा विभाग की ओर से उन्हें सरकार के साथ वार्ता का 12 नवंबर को न्यौता मिला है लेकिन वार्ता के लिए उन्हें अपना धरना समाप्त करना होगा।
हिमाचल प्रदेश में 2174 वोकेशनल टीचर्स हैं, जो 1100 स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के वोकेशनल टीचर्स को प्राइवेट कंपनियों के जरिए सेवाओं पर रखा गया है। ऐसे में टीचर्स अब प्राइवेट कंपनियों को बाहर रखने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि प्राइवेट कंपनियां उन्हें शोषित कर रही है। इस लिए प्राइवेट कंपनियों को बाहर रखा जाए।
वोकेशनल शिक्षक संघ के महासचिव नीरज बंसल ने कहा कि उनका धरना सात दिनों से जारी है।इस दौरान उनकी प्रदेश परियोजना अधिकारी से भी बात हुई हुई। उन्होंने कहा कि सरकार वार्ता के लिए तैयार है लेकिन शर्त यह है कि शिक्षकों को अपना धरना समाप्त करना होगा और उसके बाद ही शिक्षा मंत्री से बात हो सकेगी।
नीरज बंसल ने कहा कि उन्हें सरकार और विभाग की यह शर्त मंजूर नही है।अगर वार्ता होगी तो बिना शर्त के सरकार उन्हें वार्ता का न्यौता दे अन्यथा यह धरना अनिश्चितकाल के लिए जारी रहेगा।उन्होंने कहा कि अब आश्वासनों से बात नही बनेगी गत ज़रकार ने भी उन्हें आश्वासन दिए और वर्तमान सरकार ने भी उनसे सत्ता में आने से पहले वायदा किया था कि उनके लिए अवश्य कुछ न कु छ करेगी।
वही बच्चे के साथ धरने पर बैठी सोलन से आई शिक्षिका दीपिका राणा ने कहा कि यहां दिक्कत काफी हो रही है बावजूद इसके सरकार से एक मांग है कि इन कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। उन्होंने कहा बच्चे के साथ वह आई हैं लेकिन यह परिवार का प्यार और विश्वास है कि वह यहां बैठी हैं।बच्चे के साथ दिक्कत आती है।
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