नई-नई बीमारियों की चपेट में आ रहे प्रदेश के सेब बगीचे, कीट या वायरस सेब बगीचों पर कर रहे हमला
हिमाचल प्रदेश के सेब बगीचे नई-नई बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इन दिनों सेब के बगीचों में अल्टरनेरिया लीफ फॉल की तरह का नया पतझड़ रोग लगा है। यह रोग फफूंदनाशी दवाओं के छिड़काव के बावजूद नियंत्रित नहीं हो रहा

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 16-07-2025
हिमाचल प्रदेश के सेब बगीचे नई-नई बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इन दिनों सेब के बगीचों में अल्टरनेरिया लीफ फॉल की तरह का नया पतझड़ रोग लगा है। यह रोग फफूंदनाशी दवाओं के छिड़काव के बावजूद नियंत्रित नहीं हो रहा है। इसके अलावा सेब की टाइडमैन या समर क्वीन जैसी फसलों पर भृंग कीटों ने हमले शुरू कर दिए हैं।
ये भी प्रचलित कीटनाशकों से नियंत्रित नहीं हो रहे हैं। इससे सेब के फल खराब हो रहे हैं या उनकी गुणवत्ता खराब हो रही है। यह तो महज दो उदाहरण हैं। इसी तरह न जाने कितनी ही तरह की बीमारियां, कीट या वायरस सेब बगीचों पर हमला कर रहे हैं।
बागवानों के लिए बीमारियों और कीटों से मुकाबला करना अब महंगा सौदा बनता जा रहा है। दवाओं की लागत भी पिछले एक दशक में बहुत ज्यादा बढ़ गई है। अब दवाओं पर पहले की तरह उपदान भी नहीं मिलता है। इसके कारण दवाइयों पर ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।
सेब पर वूली एफिड, मार्सोनिना ब्लॉच, अल्टरनेरिया लीफ फॉल, स्कैव, थ्रिप्स, स्केल, माइट जैसी बीमारियों, कीटों या फफूंदों के लिए तो आम तौर पर छिड़काव करना ही होता है, मगर अब नई तरह की बीमारियां, कीट व फंगस भी पैदा होने लगे हैं। इसकी वजह पारिस्थितिकी में आया बदलाव और सेब के पेड़ों में लगी बीमारियों पर दवाओं का बेअसर होना भी माना जा रहा है। दवाइयों के बदम होने के कारण सेब के बगीचों को बचाना मुश्किल हो गया है।
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