शुद्ध आबोहवा के लिए विख्यात हिल्सक्वीन शिमला की बिगड़ रही हवा,एक्यूआई में हुई वृद्धि
अपनी शुद्ध आबोहवा के लिए विख्यात हिल्सक्वीन शिमला की हवा बिगड़ती जा रही है। हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्टों के अनुसार शिमला शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 22-01-2025
अपनी शुद्ध आबोहवा के लिए विख्यात हिल्सक्वीन शिमला की हवा बिगड़ती जा रही है। हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्टों के अनुसार शिमला शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है। वर्ष 2011-2012 में औसतन एक्यूआई 35 था, जबकि 2024 में 52 पहुंच गया है।
शहर की हवा में प्रदूषक तत्वों में बढ़ोतरी हुई है। इसके मुख्य कारण शहरीकरण बढ़ना, वाहनों की लगातार बढ़ती आवाजाही और जंगलों में लगने वाली आग है। आंकड़ों पर गौर करें तो 2011-2012 में शिमला की हवा में सल्फर डाइऑक्साइड का स्तर 2 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था।
वहीं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर 8.1 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। इसके अलावा रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) का स्तर 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था।
बढ़ते वायु प्रदूषण से शिमला की हवा की गुणवत्ता में गिरावट आई है। शिमला की हवा अभी भी अच्छी श्रेणी में आती है, लेकिन लगातार घटती गुणवत्ता चिंताजनक है। वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के कारण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन संबंधी रोगों की संभावना बढ़ सकती है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में।
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