सतलुज से आने वाला पानी ओजोन से होगा प्यूरिफाई; योजना पर खर्च होंगे 500 करोड़

ओजोन से पानी को शुद्ध करने की तकनीक वाला राज्य का पहला पेयजल प्रोजेक्ट शिमला में बन रहा है। इस प्रोजेक्ट को जल शक्ति विभाग नहीं, बल्कि शिमला जल प्रबंधन निगम बना रहा

May 12, 2024 - 12:49
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सतलुज से आने वाला पानी ओजोन से होगा प्यूरिफाई; योजना पर खर्च होंगे 500 करोड़

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला    12-05-2024

ओजोन से पानी को शुद्ध करने की तकनीक वाला राज्य का पहला पेयजल प्रोजेक्ट शिमला में बन रहा है। इस प्रोजेक्ट को जल शक्ति विभाग नहीं, बल्कि शिमला जल प्रबंधन निगम बना रहा है। वल्र्ड बैंक से निर्माणाधीन शिमला बल्क वाटर सप्लाई स्कीम में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। 

इससे पहले हिमाचल में पानी की प्यूरीफिकेशन क्लोरीन से होती थी। उसके बाद अल्ट्रा वायलेट किरणों के जरिए यह काम किया जा रहा था, लेकिन यूरोप में इस्तेमाल हो रही ओजोनेशन तकनीक पहली बार आ रही है। 

क्लोरीनेशन की तुलना में ओजोन में बैक्टीरिया और वायरस के खिलाफ अधिक कीटाणुशोधन क्षमता होती है। ओजोन बैक्टीरिया, वायरस और प्रोटोजोआ को तेजी से खत्म करता है। इसमें क्लोरीनीकरण की तुलना में अधिक मजबूत रोगाणुनाशक गुण होते हैं। 

ओजोन पानी में अकार्बनिक या कार्बनिक पदार्थों के साथ-साथ स्वाद और गंध की समस्या को भी खत्म कर देता है। शिमला शहर के लिए सतलुज नदी से 67 मिलियन लीटर प्रतिदिन क्षमता का पानी लाने के लिए बल्क वाटर सप्लाई स्कीम बन रही है। करीब 500 करोड़ इस योजना पर खर्च हो रहे हैं। योजना को मई 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

साई इटरनल फाउंडेशन ज्वाइंट वेंचर में इसे बना रही है। प्रोजेक्ट का आपरेशन एंड मेंटेनेंस भी यही एजेंसी करेगी। इसमें पहले वॉटर प्यूरीफिकेशन के लिए क्लोरिनेशन का प्रावधान था, लेकिन अब इसकी जगह ओजोनेशन तकनीक को लागू किया गया है। 

प्रोजेक्ट को देख रहे शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव देवेश कुमार ने इस तकनीक इस्तेमाल करने की आदेश दिए हैं। इससे प्रोजेक्ट की कुल लागत कितनी बढ़ेगी, इसकी असेसमेंट चल रही है। इस लागत को राज्य सरकार वहन करेगी। सबसे बड़ा कारण यह है कि क्लोरिनेशन से पानी में ट्राइहेलोमीथेन यानी टीएचएमएस की फार्मेशन होती है, जो सेहत के लिए ठीक नहीं है।

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