न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली 02-11-2025
शॉपिंग मॉल और शहरों के बड़े बाजारों में भारतीय सबसे ज्यादा पैसा परिधानों ( सिले-सिलाए कपड़ों ) पर और उसके बाद खाने-पीने पर खर्च करते हैं। एक हालिया अध्ययन के अनुसार देश में शॉपिंग सेंटरों का कुल कारोबार लगभग 4.9 लाख करोड़ रुपए है जिसमें 30-35 (1,500-1,700 अरब रुपए) प्रतिशत कमाई परिधानों की बिक्री से होती है। इसके बाद मुख्य बाजारों का कारोबार लगभग 3.8 लाख करोड़ रुपए का है। इसमें 32-35 प्रतिशत पैसा (1,200-1,400 अरब रुपए) लोग परिधानों पर खर्च करते हैं। परिधानों के बाद दूसरे नंबर पर खाने-पीने की चीजें हैं।
मॉलों में अपने कुल खर्च का 20-25 प्रतिशत (1,000-1,100 अरब रुपए) लोग खाने-पीने पर खर्च डालते हैं। वहीं, बड़े बाजारों में लोग 800-950 अरब रुपए (22-25 प्रतिशत) इस मद में खर्च कर डालते हैं। नाइट फ्रैंकफर्ट द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के हवाई अड्डे भी धीरे-धीरे बड़े रिटेल सेंटरों में बदलते जा रहे हैं। हवाई अड्डों पर रिटेल क्षेत्र का राजस्व 10,000 करोड़ रुपए है और यहां लोग सबसे अधिक 45-54 अरब रुपए (38-47 प्रतिशत) खाने-पीने पर खर्च करते हैं , जबकि परिधान और एक्सेसरीज 30-35 अरब रुपए (28-32 प्रतिशत) के साथ दूसरे स्थान पर रहा। तीनों तरह के रिटेल शॉपिंग प्लेस में सौंदर्य एवं आरोग्य उत्पादों का स्थान रहा। इनकी हिस्सेदारी 10-12 प्रतिशत रही।
मॉलों में लोग आठ से दस प्रतिशत खर्च टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद और आईटी डिवाइस पर करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शॉपिंग सेंटर देश के संगठित रिटेल क्षेत्र का नेतृत्व कर रहे हैं। इनका नियंत्रित माहौल और वहां ग्राहकों को मिलने वाला अनुभव इनकी सबसे बड़ी ताकत है। किसी भी शहर में बड़े बाजार एक जगह न होने के बावजूद कुल मिलाकर काफी ज्यादा राजस्व जुटाते हैं। इनसे लोगों का एक जुड़ाव होता है और वहां उन्हें स्थानीय ब्रांडों का भरोसा मिलता है। वहीं , हवाई अड्डे कम जगह में अच्छा रिटर्न देने वाले रिटेल स्पेस हैं। ये छोटे लग्जरी बाजारों के रूप में उभर रहे हैं। रिपोर्ट में 32 बड़े और मझोले शहरों के अध्ययन के आधार पर कहा गया है कि मझोले शहरों में रिटेल सेक्टर तेजी से उभर रहा है।
मेट्रो शहरों में जहां अब तेज विस्तार की गुंजाइश कम है, वहीं लोगों से पास ज्यादा आय और मध्यम वर्ग की अपेक्षा के कारण मझौले शहरों में मॉलों और शोरूम की संख्या बढ़ रही है। लखनऊ, इंदौर और कोच्चि जैसे शहर इस विकास का नेतृत्व करते हैं। बड़े शहरों में कुल संगठित रिटेल स्पेस 9.8 करोड़ वर्ग फुट है। वहीं मझौले शहरों में यह आंकड़ा 3.25 करोड़ वर्ग फुट है। दिल्ली-एनसीआर में कुल रिटेल स्पेस 3.25 करोड़ वर्ग फुट है। इसके बाद 1.64 करोड़ वर्ग फुट के साथ मुंबई दूसरे स्थान पर है।