स्टील इंडस्ट्री की सरकार को चेतावनी,बिजली की बढ़ी दरों को वापिस नही लिया तो बंद करेंगे उद्योग
हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार को सबसे अधिक राजस्व देने वाले स्टील इंडस्ट्री पर अब संकट के बदले मंडल आ रहे हैं। अब आलम यह बन गया है कि लोह उद्योग मालिकों ने घाटे में चल रहे कारखानों को बंद करने का मन बना लिया
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यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 16-02-2025
हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार को सबसे अधिक राजस्व देने वाले स्टील इंडस्ट्री पर अब संकट के बदले मंडल आ रहे हैं। अब आलम यह बन गया है कि लोह उद्योग मालिकों ने घाटे में चल रहे कारखानों को बंद करने का मन बना लिया है। उनकी नज़रें सरकार पर टिकी है कि कब औद्योगिक इकाइयों को दी जाने वाली सब्सिडी बहाल होगी।
सरकार ने कुछ समय पहले उद्योगों को दी जाने वाली सब्सिडी बंद कर दी है जिसका इन उद्योगपतियों ने कड़ा विरोध जताया है। हिमाचल प्रदेश लोह उद्योग में बिजली की सबसे अधिक 50% खपत होती है। वही यह उद्योग प्रदेश सरकार को सबसे अधिक हर माह 50 करोड़ का राजस्व देते है।
बावजूद इसके अब उद्योगपतियों ने दो टूक शब्दों में सरकार को चेतावनी दे दी है कि अगर बिजली शुल्क में कटौती और सेस को वापस नहीं लिया गया तो उन्हें मजबूरन उद्योग बंद करने पड़ेंगे। स्टील इंडस्ट्री एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल संगठन के अध्यक्ष मेघराज गर्ग की अध्यक्षता में सचिवालय पहुंचे और उद्योग मंत्री से भेंट की।
सचिवालय पहुंचे स्टील इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष मेघराज गर्ग ने कहा कि पिछले तीन महीनों में बार-बार अनुरोध करने के बावजूद, मुख्यमंत्री ने हमें आश्वासन दिया कि ₹1 प्रति यूनिट बिजली दरों में बढ़ोतरी पर पुनर्विचार किया जाएगा। हालाँकि, कोई कार्रवाई नहीं की गई और इसके बजाय, प्रति यूनिट 20 पैसे का अतिरिक्त उपकर लगाया गया है।
उन्होंने कहा कि अक्टूबर माह से बिजली दरों में बढ़ोतरी से उद्योग प्रभावित हुए हैं।बिजली टैरिफ में मामूली वृद्धि उद्योग जगत में प्रतिस्पर्धात्मकता को गंभीर रूप से प्रभावित करती है, लेकिन पिछले दो वर्षों में, कुल बिजली टैरिफ में 48% की वृद्धि हुई है। जिससे परिचालन अस्थिर हो गया है।उन्होंने कहा कि हिमाचल में गत 25 वर्षों से कार्य कर रहे है लेकिन गत दो वर्षों में आज तक सबसे अधिक वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने वायदा किया था कि वह से पंजाब से सस्ती बिजली उपलब्ध करवाएंगे लेकिन इसके विपरीत उद्योग जगत को पंजाब से महंगी बिजली मिल रही है। इतनी अधिक महंगी बिजली के कारण उद्योग बंद होने की कगार पर आ गए है।100करोड़ से अधिक बिजली का बिल पेंडिंग हो गया है।सरकार से आग्रह कर रहें हैं कि इतने अधिक बिल किश्तों में अदायगी की रियायत दी जाए।
मेघराज गर्ग ने कहा कि कई उद्योग प्रदेश से पलायन कर चुके है और अब बिजली दरों में बढ़ोतरी से लौह उद्योग भी बंद होने की कगार पर आ गया है।उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने औद्योगिक उपभोक्ताओं पर 20 पैसे सेस लगा दिया जिसमें 10 पैसे प्रति यूनिट का दूध उपकर और 10 पैसे प्रति यूनिट तक का पर्यावरण उपकर लगाया था और अक्टूबर में ₹1 प्रति यूनिट बिजली शुल्क सब्सिडी वापस ले ली थी।
जिससे उद्योगों पर भारी अतिरिक्त बोझ पड़ा है। हम राज्य सरकार से स्थिति बिगड़ने से पहले टैरिफ वृद्धि और उपकर को वापस लेने के लिए तत्काल सुधारात्मक उपाय करने का आग्रह करते हैं। अन्यथा हिमाचल प्रदेश का इस्पात उद्योग और भी कठोर कदम उठाने को मजबूर होते हुए उद्योगों को बंद करना पड़ेगा।
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