सड़क निर्माण में उत्तर प्रदेश सरकार का मॉडल अपनाएगी हिमाचल सरकार जानिए 

हिमाचल प्रदेश में उखाड़ी गई सामग्री से बनने वाली सड़कों के लिए हिमाचल सरकार उत्तर प्रदेश का मॉडल अपनाएगी। सरकार ने लोक निर्माण विभाग को उत्तर प्रदेश मॉडल अपनाने की स्वीकृति दी की। 10 करोड़ से अधिक मूल्य की आठ मशीनें सड़क निर्माण के काम में लगाई जाएंगी। प्रदेश के सभी जिलों में फुल डेफ्थ रिक्लेमेशन ( एफडीआर ) तकनीक से 666 किलोमीटर सड़क निर्माण होगा

Oct 18, 2023 - 19:15
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सड़क निर्माण में उत्तर प्रदेश सरकार का मॉडल अपनाएगी हिमाचल सरकार जानिए 


यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  18-10-2023

हिमाचल प्रदेश में उखाड़ी गई सामग्री से बनने वाली सड़कों के लिए हिमाचल सरकार उत्तर प्रदेश का मॉडल अपनाएगी। सरकार ने लोक निर्माण विभाग को उत्तर प्रदेश मॉडल अपनाने की स्वीकृति दी की। 10 करोड़ से अधिक मूल्य की आठ मशीनें सड़क निर्माण के काम में लगाई जाएंगी। प्रदेश के सभी जिलों में फुल डेफ्थ रिक्लेमेशन ( एफडीआर ) तकनीक से 666 किलोमीटर सड़क निर्माण होगा। इस तकनीक में खनन सामग्री का उपयोग नहीं होगा। परिणामस्वरूप सड़क की मोटाई पहले जैसी रहेगी , पर्यावरण संरक्षित होगा , रेत , बजरी के लिए पहाड़ खोदने की आवश्यकता नहीं रहेगी। 

 

एफडीआर तकनीक सड़क निर्माण के लिए दस दिनों के भीतर लोक निर्माण विभाग के चारों जोन में निविदा खोली जाएगी। इससे पहले तीन-चार वर्क्स को जोड़कर न्यूनतम 40 किमी किया जाएगा। एफडीआर तकनीक के लिए शर्त ये रहेगी कि कंपनी के पास सड़क निर्माण संबंधी मशीनरी उपलब्ध हो। एफडीआर तकनीक से बनने वाली सड़कों पर 666 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। एफडीआर तकनीक से बनने वाली सड़कों के तहत प्रदेश के चार जिलों कांगड़ा , मंडी , बिलासपुर , हमीरपुर में अधिक लंबाई की सड़कों का निर्माण होगा। जबकि पांच जिलों लाहुल-स्पीति, किन्नौर, सिरमौर, सोलन व चंबा में एफडीआर तकनीक का उपयोग नहीं होगा। जनजातीय किन्नौर जिला ऐसा है जहां पर पीएमजीएसवाई सड़कें नहीं हैं। 

 

इस तकनीक से सड़क का दोबारा निर्माण होने से सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि बिछाई गई परत पहले जैसे रहेगी। ऐसा करने से सड़क के साथ लगते भवनों में पानी नहीं घुसेगा। न हीं सड़क उखड़ेगी। पर्यावरण संरक्षण होगा। अनावश्यक तौर पर पहाड़ो से रेत , पत्थर , रोड़ी निकालने की जरूरत नहीं रहेगी। ऐसा माना जा रहा है कि सामान्य तौर पर निर्मित होने वाली सड़क दस साल तक उपयोग में रहती है, जबकि एफडीआर तकनीक से बनने वाली सड़क बीस साल तक उपयोगी रहेगी। इस तरह से निर्मित होने वाली सड़क में उखाड़ी गई पुरानी सामग्री में सीमेंट और रासायनिक स्टेबलाइजर का मिश्रण बिछाया जाता है। लोक निर्माण विभाग शीघ्र ही एफडीआर तकनीक से सड़क निर्माण शुरू करेगा। 

 

देश के कई राज्यों में इस तकनीक से सड़क निर्माण हो रहा है। उत्तर प्रदेश में इस तकनीक से साढ़े पांच हजार किमी से अधिक लंबाई की सड़कों का निर्माण हो चुका है। प्रदेश में एफडीआर तकनीक से डेढ़ साल के भीतर हमें 666 किमी सड़कें बनानी है। इसके लिए विभाग की ओर से एफडीआर तकनीक वाली मशीनरी रखने वाली कंपनियों के लिए ग्लोबल टेंडरिंग की जाएगी। राज्य में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2023 व 2024 के दौरान तीसरे चरण में कुल 254 वर्क्स के तहत 2682.98 किमी सड़कों का पुनर्निर्माण किया जाएगा।

 

पीएमजीएसवाई के तहत परंपरागत तरीके से 1460.52 किमी के लिए 137 सड़कों पर निर्माण कार्य होगा। राज्य में पहली बार उपयोग की जा रही एफडीआर तकनीक से 62 वर्क्स में 665.96 किमी लंबाई की सड़कों पर पुनर्निर्माण की नई तकनीक का उपयोग होगा। फुल डेप्थ रिक्लेमेशन एक ऐसी सड़क निर्माण की तकनीक है, जिसमें सड़क की मौजूदा सामग्री को उखाड़ कर दोबारा कुल अन्य मिश्रण उपयोग कर निर्माण किया जाता है।

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