यंगवार्ता न्यूज़ - ऊना 2012-2024
किसानों और बागवानों के हितों की रक्षा एवं आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए ऊना जिले में जिला स्तरीय सोसाइटी का गठन किया जाएगा। इस सोसाइटी में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), क्लस्टर स्तरीय फेडरेशन और अन्य हितधारकों को शामिल किया जाएगा। उपायुक्त जतिन लाल ने शुक्रवार को जिले के किसानों, एफपीओ संचालकों और स्वयं सहायता समूहों के साथ हुई बैठक में यह महत्वपूर्ण बात कही। इस पहल के तहत ऊना जिले का अपना खाद्य उत्पाद ब्रांड तैयार किया जाएगा। आलू सहित अन्य कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग अंतरराष्ट्रीय मानकों और आधुनिक प्रथाओं के आधार पर की जाएगी। शुरुआत में आलू, मोटे अनाज और ड्रैगन फ्रूट जैसे उत्पादों पर फोकस रहेगा। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और ऊना जिले को एक नई पहचान मिलेगी।
उपायुक्त ने कहा कि जिले के किसानों को धोखाधड़ी से सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रशासन ‘मॉडल एग्रीमेंट दस्तावेज’ तैयार करेगा। एडीसी की अध्यक्षता में गठित समिति यह दस्तावेज तैयार करेगी। समिति में कृषि, बागवानी विभागों के उपनिदेशक, एपीएमसी सचिव और डीआरडीए परियोजना अधिकारी शामिल होंगे। यह दस्तावेज पंचायत स्तर पर उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि किसान और खरीदार के बीच पारदर्शी और सुरक्षित समझौते हो सकें। इससे भुगतान विवादों में पुलिस कार्रवाई भी सुगम होगी। उपायुक्त ने किसानों को एफपीओ (किसान उत्पादक संगठनों) से जोड़ने पर जोर देते हुए कहा कि एफपीओ का दायरा बढ़ाया जाएगा। इसके लिए संगठित रणनीति तैयार की जाएगी ताकि किसानों को इसका अधिकतम लाभ मिल सके। जतिन लाल ने कहा कि ऊना जिले में सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ पोटैटो (सीआरआईपी) का सैटेलाइट सेंटर स्थापित करने के लिए उच्चस्तरीय प्रयास किए जाएंगे।
इससे जिले में आलू की विभिन्न किस्मों के बीजों का उत्पादन संभव हो सकेगा और किसानों को फायदा मिलेगा। उपायुक्त ने बंगाणा उपमंडल के थानाकलां में 10 करोड़ रुपये की लागत से बने ग्रामीण आजीविका केंद्र में फूड प्रोसेसिंग इकाइयां लगाने की आवश्यकता पर बल दिया। इससे जिले में उगने वाले विभिन्न कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग और मूल्यवर्धन किया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल सरकार किसानों की समृद्धि और कृषि अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आलू आधारित आर्थिकी को बढ़ावा देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह सेब आधारित आर्थिकी में प्रदेश को सफलता मिली है, वैसे ही ऊना में आलू आधारित आर्थिकी को नई ऊंचाइयों तक ले जाया जाएगा।
ऊना जिला आलू की बड़े पैमाने पर खेती और उच्च गुणवत्ता के लिए प्रदेशभर में विख्यात है। यहां रबी और खरीफ दोनों मौसमों में आलू की खेती होती है, जिसे हिमाचल की मंडियों के साथ-साथ देशभर में भेजा जाता है। बैठक में किसानों और हितधारकों ने अपने अनुभव और सुझाव साझा किए। ‘पेप्सीको’ कंपनी के प्रतिनिधियों ने आलू की विभिन्न किस्मों की खेती और किसानों से खरीदारी के अपने मॉडल की जानकारी दी। पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह और अतिरिक्त उपायुक्त महेंद्र पाल गुर्जर ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए ठोस व्यवस्था को लेकर सुझाव दिए। बैठक में कृषि उपनिदेशक डॉ. कुलभूषण धीमान, बागवानी उपनिदेशक डॉ. के.के. भारद्वाज, डीआरडीए परियोजना अधिकारी केएल वर्मा , एपीएमसी सचिव भूपेंद्र सिंह, सीपीओ संजय सांख्यान, एफपीओ, क्लस्टर फेडरेशन के सदस्य और अन्य हितधारक उपस्थित रहे।