मौसम खुलते ही एक करोड़ 46 लाख सेब की पेटियां पहुंची मंडी,सरकार से प्रयासों से बागबान खुश

बरसात ने हालांकि प्रदेश में सेब सीजन को काफी ज्यादा प्रभावित किया है, परंतु फिर भी मंडियों में मंगलवार तक एक करोड़ 46 लाख सेब पेटियां पहुंच चुकी हैं। लगातार सेब मंडियों की तरफ भेजा जा रहा

Sep 10, 2025 - 11:46
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मौसम खुलते ही एक करोड़ 46 लाख सेब की पेटियां पहुंची मंडी,सरकार से प्रयासों से बागबान खुश

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला     10-09-2025

बरसात ने हालांकि प्रदेश में सेब सीजन को काफी ज्यादा प्रभावित किया है, परंतु फिर भी मंडियों में मंगलवार तक एक करोड़ 46 लाख सेब पेटियां पहुंच चुकी हैं। लगातार सेब मंडियों की तरफ भेजा जा रहा है। वैसे भारी बारिश से अभी भी कई स्थानों पर सडक़ें बंद पड़ी हैं, लेकिन सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि जैसे-तैसे बागबानों का सेब वहां से बाहर निकाल दिया जाए। 

अब कुल्लू वैली से भी सेब के ट्रकों को लगातार निकाला जा रहा है वहीं, शिमला जिला में भी वाहन निकल रहे हैं। वैसे कई स्थानों पर शिमला जिला में भी लिंक रोड बंद पड़े हैं, जिससे दिक्कतें पेश आ रही हैं। सेब का सीजन अब चरम पर है और रॉयल सेब के बाद गोल्डन सेब भी मंडियों में पहुंचना शुरू हो चुका है।

एपीएमसी के आंकड़ों के मुताबिक एक करोड़ 46 लाख 49 हजार पेटियां मंडियों के लिए यहां विभिन्न बैरियर से निकल चुकी हैं। यह सेब पेटियां न केवल हिमाचल की अपनी मंडियों में पहुंची है बल्कि बाहरी राज्यों की मंडियों के लिए भी गई हैं। शिमला-किन्नौर मंडी में सबसे अधिक 94 लाख 79 हजार 654 सेब पेटियां पहुंची हैं। 

जिनके तहत कई मंडियां यहां पर आती हैं। सोलन मंडी में 2164736 पेटियां , मंडी में 1422885, कांगड़ा मंडी में 11393, कुल्लू एवं लाहुल-स्पीति की मंडी में 1479388, सिरमौर की पांवटा मंडी में 2132, ऊना में 6495, बिलासपुर में 651, हमीरपुर में 1835 तथा चंबा में 79880 पेटियां पहुंची हैं।

इस बार प्रदेश में अढ़ाई करोड़ से ज्यादा सेब पेटियों का अनुमान है। रॉयल सेब के बाद गोल्डन सेब भी आना शुरू हो गया है। इतनी पेटियां गोल्डन सेब की मार्केट में जाएगी ऐसी उम्मीद है।

सडक़ों की बहाली का काम युद्धस्तर पर चल रहा है और प्रदेश का लोक निर्माण विभाग इसमें तेजी के साथ काम कर रहा है। वैसे प्रदेश में अभी भी 800 से ज्यादा सडक़ें बंद पड़ी हैं, जिनमें सबसे अधिक लिंक रोड बंद हैं और उनकी वजह से भी ज्यादा परेशानी है। छोटी पिकअप गाडिय़ों से भी ज्यादातर सेब मंडियों तक पहुंचाया जा रहा है। 

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