अग्रणी प्राकृतिक खेती राज्य बनकर उभरेगा हिमाचल , कड़े फैसलों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही सरकार : मुख्यमंत्री 

हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में ग्रामीण आबादी की निर्णायक भूमिका को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज नई दिल्ली से आगमन के उपरान्त कहा कि कृषि आज भी प्रदेश की जीवन रेखा है। राज्य की लगभग 90 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है

Dec 23, 2025 - 19:58
Dec 23, 2025 - 20:09
 0  5
अग्रणी प्राकृतिक खेती राज्य बनकर उभरेगा हिमाचल , कड़े फैसलों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही सरकार : मुख्यमंत्री 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  23-12-2025

हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में ग्रामीण आबादी की निर्णायक भूमिका को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज नई दिल्ली से आगमन के उपरान्त कहा कि कृषि आज भी प्रदेश की जीवन रेखा है। राज्य की लगभग 90 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और लगभग 53.95 प्रतिशत लोग प्रत्यक्ष रूप से कृषि एवं इससे जुड़े कार्यों पर निर्भर हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ीकरण वर्तमान राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार किसानों और ग्रामीण परिवारों की आर्थिक मजबूती के लिए दूरगामी और निर्णायक सुधार लागू किए गए हैं। 
प्राकृतिक खेती से उत्पादित फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था, बागवानों के हितों की रक्षा हेतु सेब के लिए यूनिवर्सल कार्टन को लागू करना, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लक्षित सब्सिडी योजनाएं तथा किसानों को अतिरिक्त आय उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से गोबर खरीद की अभिनव पहल जैसे कदम इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। इन निर्णयों का उद्देश्य ग्रामीण आबादी को अधिकतम लाभ पहुंचाना और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करना है। इसी क्रम में राज्य सरकार ने 9.61 लाख किसान परिवारों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। यह लक्ष्य न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलाव लाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि प्रदेश भर के किसानों के लिए स्थायी और सम्मानजनक आजीविका सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस कदम भी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बदलाव के दृष्टिगत प्रदेश सरकार द्वारा किसान हितैषी योजनाओं का एक व्यापक ढांचा लागू किया गया है। 
इसके परिणामस्वरूप राज्य में लगभग 38,437 हेक्टेयर क्षेत्र में 2,22,893 किसान और बागवान पूरी तरह या आंशिक रूप से प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं। उन्होंने कहा कि इससे खेती की लागत कम हो रही है, मिट्टी की उर्वरकता में भी सुधार हुआ है और किसानों की आय में आशातीत वृद्धि हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने 15 अप्रैल 2025 को चंबा जिले की जनजातीय पांगी उपमंडल को आधिकारिक रूप से प्राकृतिक खेती उप-मंडल घोषित किया है। यहां के किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ प्राकृतिक पद्धति से विभिन्न प्रकार की औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती कर रहे हैं, जो क्षेत्र की पर्यावरण-अनुकूल कृषि के प्रति सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। श्री सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने प्राकृतिक खेती से उगाई गई फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है। हजारी सरकार ने पहले प्राकृतिक रूप से तैयार की गई मक्का और गेहूं क्रमशः 30 और 40 रुपये प्रति किलो का समर्थन मूल्य निर्धारित किया जिसे इस वर्ष से बढ़ाकर क्रमशः 40 और 60 रुपये प्रति किलो किया गया है। 
कच्ची हल्दी पर 90 रुपये प्रति किलो और पांगी घाटी में उगाई गई जौ पर 60 रुपये प्रति किलो समर्थन मूल्य प्रदान किया जा रहा है। इसके साथ ही फलों के समर्थन मूल्य में भी ऐतिहासिक बढ़ोतरी की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के बैंक खाते में सीधे लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से भुगतान किया जा रहा है, जिससे पारदर्शिता और कार्यकुशलता सुनिश्चित हो रही है। गत वर्ष किसानों से 399 मीट्रिक टन प्राकृतिक मक्का की खरीद की गई जिसके लिए उनके बैंक खातों में 1 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए। इस वर्ष 14 नवम्बर से अब तक किसानों से 161.05 क्विंटल मक्का की खरीद गई है। इसके अलावा 2,123 क्विंटल गेहूं की खरीद के लिए 1.32 करोड़ रुपये और छह जिलों में 127 क्विंटल कच्ची हल्दी के लिए 11.44 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। बाजार से पहचान मजबूत करने के लिए प्राकृतिक खेती के उत्पादों को एक विशेष ब्रांड के तहत लॉन्च किया गया है। मक्का का आटा ‘हिम भोग हिम मक्की’, गेहूं के उत्पाद ‘हिम चक्की आटा’ और ‘हिम दलिया’, तथा कच्ची हल्दी ‘हिम हल्दी’ के नाम से बेचे जा रहे हैं, जिससे हिमाचली उत्पादों को बेहतर बाजार पहुंच और पहचान मिल रही है। 
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार प्राकृतिक खेती के आदान तैयार करने के लिए प्रति ड्रम 750 रुपये की सब्सिडी दे रही है, जिसमें प्रति परिवार अधिकतम तीन ड्रम शामिल हैं। इसके अलावा गोशालाओं के सुधार के लिए प्रति किसान 8,000 रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जा रही है। देसी नस्ल की गाय खरीदने के लिए 25,000 रुपये तक की सब्सिडी भी उपलब्ध कराई जा रही है। श्री सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हिम उन्नति (हिम कृषि योजना) के अंतर्गत क्लस्टर आधार पर कृषि और कृषि से संबंधित गतिविधियों को चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया है और प्रदेश में 2600 क्लस्टर अंकित किए जा रहे है। इसके अंतर्गत चंबा, लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्दी तथा कुछ क्षेत्रों में केसर की खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार के इन प्रयासों से राज्य आत्मनिर्भर और सबसे समृद्ध राज्य बनने की ओर अग्रसर होने के साथ-साथ देश का पहला प्राकृतिक राज्य बनकर उभरेगा।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow